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🌷क्षमा कीजिए पिताश्री !🌷

एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा कि पिताजी ! आप यह *चिताभस्म ,लगाकर, मुण्डमाला धारणकर* अच्छे नहीं लगते, मेरी *माता गौरी अपूर्व सुंदरी* और *आप उनके साथ इस भयंकर रूप* में ! 
    पिताजी ! आप एक बार कृपा करके *अपने सुंदर रूप* में *माता के सम्मुख* आएं, जिससे हम *आपका असली स्वरूप* देख सकें ! 
   भगवान शिवजी मुस्कुराये और गणेशजी की बात मान ली और कुछ समय बाद जब शिवजी स्नान करके लौटे तो *उनके शरीर पर भस्म* नहीं थी , *बिखरी जटाएं सँवरी* हुई, *मुण्डमाला उतरी* हुई थी ! सभी *देवता, यक्ष, गंधर्व, शिवगण* उन्हें *अपलक देखते* रह गये, वो *ऐसा रूप* था कि *मोहिनी अवतार रूप* भी *फीका पड़* जाये ! *भगवान शिव* ने *अपना यह रूप* कभी भी *प्रकट नहीं किया* था !

    *शिवजी* का *ऐसा अतुलनीय रूप* कि *करोड़ों कामदेव* को भी *मलिन कर रहा* था ! 
     गणेशजी *अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देखकर स्तब्ध* रह गए और *मस्तक झुकाकर* बोले - मुझे *क्षमा करें पिताजी !* परन्तु अब *आप अपने पूर्व स्वरूप* को *धारण कर लीजिए* ! 

*भगवान शिव मुस्कुराये और पूछा* - क्यों पुत्र अभी तो तुमने ही मुझे *इस रूप* में देखने की इच्छा प्रकट की थी, अब *पुनः पूर्व स्वरूप में आने* की बात क्यों ? 
    
*गणेशजी ने मस्तक झुकाये* हुए ही कहा - *क्षमा करें पिताश्री !* 
मेरी *माता* से *सुंदर कोई और दिखे* मैं ऐसा कदापि नहीं चाहता! और शिवजी हँसे और *अपने पुराने स्वरूप* में लौट आये !

पौराणिक ऋषि इस प्रसंग का सार स्पष्ट करते हुए कहते हैं......
*आज* भी *ऐसा ही होता* है *पिता रुद्र रूप* में रहता है क्योंकि *उसके ऊपर परिवार* की *जिम्मेदारियों* अपने *परिवार का रक्षण* ,उनके *मान सम्मान* का *ख्याल रखना होता* है तो *थोड़ा कठोर रहता* है... 
   और *माँ सौम्य,प्यार लाड़,स्नेह* उनसे *बातचीत करके प्यार* देकर उस *कठोरता* का *संतुलन बनाती* है ।। इसलिए *सुंदर* होता है *माँ का स्वरूप* ।। 
 प्रेम से बोलिए हर हर महादेव
🙏🙏🛕🛕🙏🙏

*पिता के ऊपर से भी जिम्मेदारियों का बोझ हट जाए तो वो भी बहुत सुंदर दिखता है ।*
      🌹 *ऊँ नमः शिवाय* 🌹

🙏🕉 शुभ प्रभात, आपका दिन आनंद मंगल से परिपूर्ण हो🕉️🙏🏼

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