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गुलाब के अदभुत स्वास्थ्य लाभ :*

 *गुलाब के अदभुत स्वास्थ्य लाभ :* गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है। लाल गुलाब के फूल हमारी ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। ये हमारी ‘एड्रीनल ग्रंथि’ को प्रभावित करते हैं। लाल गुलाब की पंखुड़ियों से निर्मित गुलकंद हमारे उदर विकारों को दूर कर शरीर की गर्मी को कम करता है। इसके नियमित सेवन से हमारे होंठ गुलाब की पंखुड़ी जैसे ही लाल बनते हैं। गुलाब के द्वारा बनाएं जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल। तासीर : इसकी प्रकृति ठंडी होती है। गुलाब की सेवन की जाने वाली मात्रा : • फूल का काढ़ा 25 से 50 मिलीलीटर।@HN@ • गुलकंद 10-30 ग्राम। • गुलाब के फूलों का रस 20-40 ग्राम। • गुलाब के ताजे फूल 10 ग्राम से 30 ग्राम तक। • शुष्क फूलों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम। *गुलाब के औषधीय गुण* ★ गुलाब का फूल जितना दिखने में सुन्दर होता है उसमें उतना ही औषधीय गुण पाए जाते हैं। ★ आयुर्वेदिक मतानुसार गुलाब के रस का स्वाद तीखा, चिकना, कषैला और मीठा होता है। ★ गुलाब का उपयोग करने से दिल, दिमाग और आमाशय की शक्ति में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप इनकी क्रिया भी ठीक प्रकार से होने लगती है। ★ गर्मी...

jindgi ke sath bhi jindgi ke baad bhi

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जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी

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दुनिया के लिए आप एक व्यक्ति हो और अपने परिवार के लिए आप एक पूरी दुनिया। जो अपने परिवार से करें प्यार वह जीवन बीमा से कैसे करें इनकार। जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी क्या इस महामारी के दौरान आप घर बैठे जीवन बीमा पालिसी कराना चाहते हैं तो अभी कॉल करें । संतोष गुप्ता  जीवन बीमा सलाहकार  भारतीय जीवन बीमा निगम 9752234235 santoshgsai@gmail.com FROM Santosh Gupta (9752234235) http://yonomart.com/9752234235

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🌷क्षमा कीजिए पिताश्री !🌷 एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा कि पिताजी ! आप यह *चिताभस्म ,लगाकर, मुण्डमाला धारणकर* अच्छे नहीं लगते, मेरी *माता गौरी अपूर्व सुंदरी* और *आप उनके साथ इस भयंकर रूप* में !      पिताजी ! आप एक बार कृपा करके *अपने सुंदर रूप* में *माता के सम्मुख* आएं, जिससे हम *आपका असली स्वरूप* देख सकें !     भगवान शिवजी मुस्कुराये और गणेशजी की बात मान ली और कुछ समय बाद जब शिवजी स्नान करके लौटे तो *उनके शरीर पर भस्म* नहीं थी , *बिखरी जटाएं सँवरी* हुई, *मुण्डमाला उतरी* हुई थी ! सभी *देवता, यक्ष, गंधर्व, शिवगण* उन्हें *अपलक देखते* रह गये, वो *ऐसा रूप* था कि *मोहिनी अवतार रूप* भी *फीका पड़* जाये ! *भगवान शिव* ने *अपना यह रूप* कभी भी *प्रकट नहीं किया* था !     *शिवजी* का *ऐसा अतुलनीय रूप* कि *करोड़ों कामदेव* को भी *मलिन कर रहा* था !       गणेशजी *अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देखकर स्तब्ध* रह गए और *मस्तक झुकाकर* बोले - मुझे *क्षमा करें पिताजी !* परन्तु अब *आप अपने पूर्व स्वरूप* को *धारण कर लीजिए* !  *भगवान...