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दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

meer madhava

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          काफी समय पहले की बात हैं, मुल्तान (पंजाब) का रहने वाला एक ब्राह्मण उत्तर भारत में आकर बस गया। जिस घर में वह रहता था, उसकी ऊपरी मंजिल में कोई मुग़ल-दरबारी रहता था।  . .           प्रातः नित्य ऐसा संयोग बन जाता कि, जिस समय ब्राह्मण नीचे गीतगोविन्द के पद गाया करता। उसी समय मुग़ल ऊपर से उतरकर दरबार को जाया करता था। ब्राह्मण के मधुर स्वर तथा गीतगोविन्द की ललित आभा से आकृष्ट होकर वह सीढ़ियों में ही कुछ देर रुककर सुना करता था।            जब ब्राह्मण को इस बात का पता चला तो उसने उस मुग़ल से पूछा की- "सरकार ! आप इन पदों को सुनते हैं पर कुछ समझ में भी आता है ?" मुग़ल बोला, "समझ में तो एक लफ्ज(अक्षर) भी नही आता, पर न जाने क्यों उन्हें सुनकर मेरा दिल गिरफ्त(कैद) हो जाता है। तबियत होती है की खड़े खड़े इन्हें ही सुनता रहूँ। आखिर किस किताब में से आप इन्हें गाया करते हैं ?" ब्राह्मण बोला, "गीतगोविन्द" के पद हैं ये, यदि आप पढ़ना चाहे तो मैं आपको पढ़ा दूँगा।" इस प्रस्ताब को मुग़ल ने स्वीकार कर लिया और कुछ ही...

*,,🙏pitaji ka ashirwad*🙏

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 के खंभात के एक व्यापारी की यह  सत्य घटना है। जब मृत्यु का समय सन्निकट आया तो पिता ने अपने एकमात्र पुत्र धनपाल को बुलाकर कहा कि बेटा - मेरे पास धनसंपत्ति नहीं है कि मैं तुम्हें विरासत में दूं ,पर मैंने जीवनभर सच्चाई और प्रामाणिकता से काम किया है तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं, कि तुम जीवन में बहुत सुखी रहोगे और धूल को भी हाथ लगाओगे तो वह सोना बन जायेगी।  बेटे ने सिर झुका कर पिताजी के पैर छुए।  पिता ने सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया, और संतोष से अपने प्राण त्याग कर दिए। अब घर का खर्च बेटे धनपाल को संभालना था।उसने एक छोटी सी ठेला गाड़ी पर अपना व्यापार शुरू किया। धीरेधीरे व्यापार बढ़ने लगा। एक छोटी सी दुकान ले ली। व्यापार और बढ़ा।  अब नगर के संपन्न लोगों में उसकी गिनती होने लगी। उसको विश्वास था कि यह सब मेरे पिता के आशीर्वाद का ही फल है क्योंकि उन्होंने जीवन में दुख उठाया, पर कभी धैर्य नहीं छोड़ा, श्रद्धा नहीं छोड़ी, प्रामाणिकता नहीं छोड़ी, इसलिए उनकी वाणी में बल था, और उनके आशीर्वाद फलीभूत हुए। और मैं सुखी हुआ। उसके मुंह से बारबार यह बात निकलती थी।...

gyaras 2021

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[12/17, 4:55 PM] जय श्री श्याम: *एकादशी*   *दिन व दिनांक 2021* 🙏🏻🌹💞🌹🙏🏻 सफला एकादशी शनिवार, 09 जनवरी 2021 पौष पुत्रदा एकादशी रविवार, 24 जनवरी 2021 षटतिला एकादशी रविवार, 07 फरवरी 2021 जया एकादशी मंगलवार, 23 फरवरी 2021 विजया एकादशी मंगलवार, 09 मार्च 2021 आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021 पापमोचिनी एकादशी बुधवार, 07 अप्रैल 2021 कामदा एकादशी शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021 वरुथिनी एकादशी शुक्रवार, 07 मई 2021 मोहिनी एकादशी रविवार, 23 मई 2021 अपरा एकादशी रविवार, 06 जून 2021 निर्जला एकादशी सोमवार, 21 जून 2021 योगिनी एकादशी सोमवार, 05 जुलाई 2021 देवशयनी एकादशी मंगलवार, 20 जुलाई 2021 कामिका एकादशी बुधवार, 04 अगस्त 2021 श्रावण पुत्रदा  एकादशी बुधवार, 18 अगस्त 2021 अजा एकादशी शुक्रवार, 03 सितंबर 2021 परिवर्तिनी एकादशी शुक्रवार, 17 सितंबर 2021 इन्दिरा एकादशी शनिवार, 02 अक्टूबर 2021 पापांकुशा एकादशी शनिवार, 16 अक्टूबर 2021 रमा एकादशी सोमवार, 01 नवंबर 2021 देवोत्थान एकादशी रविवार, 14 नवंबर 2021 उत्पन्ना एकादशी मंगलवार, 30 नवंबर 2021 मोक्षदा एकादशी मंगलवार, 14 दिसंबर 202...

sarvshresht suvichar

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🚩 राधे राधे 🚩   सर्वश्रेष्ठ सुविचार- 1. आपका मन अगर आप अपने वश में नहीं करेंगे, तो वो आपके दुश्मन की तरह काम करना शुरू कर देगा। 2. निर्माण केवल पहले से बनी चीजो का नया रूप हैं। 3. केवल किस्मतवाला योद्धा ही स्वर्ग तक पहुँचाने वाला युद्ध लड़ता हैं। 4. इंसान अपने विश्वास की बुनियाद पर उस जैसा बनता चला जाता हैं। 5. आपके साथ अब तक जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, आगे जो कुछ होगा अच्छे के लिए होगा, जो हो रहा हैं, वो भी अच्छे के लिए हो रहा हैं, इसलिए हमेशा वर्तमान में जीओ, भविष्य की चिंता मत करो। 6. कोशिश की जाए तो अपने अशांत मन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं। 7. इंसान नहीं उसका मन किसी का दोस्त या दुश्मन होता हैं। 8. जो किसी दुसरो पर शक करता हैं, उसे किसी भी जगह पर खुशी नहीं मिल सकती। 9. अपने जरुरी कार्य करना, बाकी गलत कार्य करने से बेहतर हैं। 10. कर्म ना करने से बेहतर हैं, कैसा भी कर्म करना। 11. आपका निराश ना होना ही परम सुख होता हैं। 12. क्रोध मुर्खता को जन्म देता हैं, अफवाह से अकल का नाश, और अकल से नाश से इंसान का नाश होता हैं। 13. किसी भी काम में आपकी योग्यता को योग कहत...

Hindu dharm ke 10 siddhant

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🚩 राधे राधे🚩 हिन्दू धर्म के 10 सिद्धांतों का रहस्य Webdunia हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बांटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति अर्थात ईश्‍वर से सुने हुए। स्मृति अर्थात सुनकर याद करने के बाद कहे गए। स्मृति ग्रन्थों में देश-कालानुसार बदलाव हो सकता है, लेकिन श्रुति में नहीं। श्रुति के अन्तर्गत चार वेद आते हैं- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। ब्रह्म सूत्र और उपनिषद् वेद का ही हिस्सा हैं। प्रमुख स्मृति ग्रन्थ हैं:- मनु स्मृति, रामायण, महाभारत और 18 पुराण। श्रीमद्भगवद गीता महाभारत का एक हिस्सा है। वेद ही धर्मग्रंथ है दूसरा अन्य कोई नहीं। हमने हिन्दू धर्म के प्रमुख सिंद्धांत और परंपरा को 10 मुख्‍य बिंदुओं में समेटा है। 1.ब्रह्म ही है 'सत्य'  ब्रह्म ही सत्य है। वह अजन्म, अप्रकट और निर्विकार है। ब्रह्मा, विष्णु, महेष, दुर्गा, काली, गणेश, राम और कृष्ण आदि कोई भी ईश्वर या परमेश्वर नहीं है। ब्रह्म को ही ईश्वर, परमपिता, परमात्मा, परमेश्वर और प्रणव कहा जाता है। मूलत: ईश्वर एक और केवल एक है। दूसरा कोई नहीं। उस ब्रह्म की किसी भी प्रकार की कोई मूर्ति नहीं ब...

Anmol

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🌳🦚आज की कहानी🦚🌳  💐💐मानव जीवन बड़ा अनमोल💐💐 एक दिन एक आदमी गुरु के पास गया और उनसे कहा, ‘बताइए गुरुजी, जीवन का मूल्य क्या है? गुरु ने उसे एक पत्थर दिया और कहा, ‘जा और इस पत्थर का मूल्य पता करके आ, लेकिन ध्यान रखना पत्थर को बेचना नहीं है।’ वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और संतरे वाले को दिखाया और बोला, ‘बता इसकी कीमत क्या है?’ संतरे वाला चमकीले पत्थर को देखकर बोला, ’12 संतरे ले जा और इसे मुझे दे दे ।’ वह आदमी संतरे वाले से बोला, ‘गुरु ने कहा है, इसे बेचना नहीं है।’ और आगे वह एक सब्जी वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखाया। सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा, ‘एक बोरी आलू ले जा और इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जा।’ उस आदमी ने कहा, ‘मुझे इसे बेचना नहीं है, मेरे गुरु ने मना किया है। आगे एक सोना बेचने वाले सुनार के पास वह गया और उसे पत्थर दिखाया। सुनार उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला, ’50 लाख में बेच दे’। उसने मना कर दिया तो सुनार बोला, ‘2 करोड़ में दे दे या बता इसकी कीमत जो मांगेगा, वह दूंगा तुझे…।’ उस आदमी ने सुनार से कहा, ‘मेरे गुरु ने इसे...

jay shree shyam jis par kripa shyam ji ki ho

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Santosh Gupta: *.                   "जिस पर कृपा श्याम की होई"           किशोर का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। उसके पिता नगर के प्रसिद्ध सेठ थे। परिवार में कोई कमी नहीं थी। किशोर के दो बड़े भाई थे जो पिता के व्यवसाय में उनका हाथ बंटाते थे। किन्तु किशोर के लिए सब कुछ ठीक नहीं था।            किशोर जन्म से ही नेत्रहीन था इस कारण उसका सारा जीवन घर में ही व्यतीत हुआ था। उसको घर में ही सभी सुख-साधन उपलब्ध रहते थे, नेत्रहीनता के अतिरिक्त किशोर के लिए एक और कष्टकारी स्थिति थी वह यह कि उसकी माँ का निधन छोटी उम्र में ही हो गया था। यद्यपि किशोर के पिता और उसके भाई उससे अत्यधिक प्रेम करते थे और उसकी सुख-सुविधा का पूर्ण ध्यान रखते थे किन्तु व्यापार की व्यस्तता के चलते वह घर में अधिक समय नहीं दे पाते थे।            किशोर का जीवन सेवकों के सहारे ही चल रहा था। जिस कारण किशोर के मन में विरक्ति उत्पन्न होने लगी। वह ठाकुर जी के ध्यान में लीन रहने लगा। धीरे-...

Disa shool

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*💥दिशाशूल क्या होता है ? क्यों बड़े बुजुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक करते हैं 💥??* *आज की युवा पीढ़ी भले ही उन्हें आउटडेटेड कहे ..लेकिन बड़े सदा बड़े ही रहते हैं ..इसलिए आदर करेंं, उनकी बातों का ; *दिशाशूल समझने से पहले हमें दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना आवश्यक है...!! *हम सबने पढ़ा है कि दिशाएं ४ होती हैं...!! १) पूर्व २) पश्चिम ३) उत्तर ४) दक्षिण   *परन्तु जब हम उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं तो ज्ञात होता है कि वास्तव में दिशाएँ दस होती हैं...!!** १) पूर्व २) पश्चिम ३) उत्तर ४) दक्षिण ५) उत्तर - पूर्व ६) उत्तर - पश्चिम ७) दक्षिण – पूर्व ८) दक्षिण – पश्चिम ९) आकाश १०) पाताल *हमारे सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव १० दिशाओं का ही वर्णन किया गया है, जैसे हनुमान जी ने युद्ध इतनी आवाज की किउनकी आवाज दसों दिशाओं में सुनाई दी |  *हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं |   *दसों दिशाओं को समझने के पश्चात अब हम बात करते हैं वैदिक ज्योतिष की | *ज्योतिष शब्द “ज्योति” से बना है जिसका भावार्थ होता है “प्रकाश”...!! *वैदिक ज्योतिष में अत्यंत विस्तृत रूप में...

mayka

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🌳🦚आज की कहानी🦚🌳 💐💐मायके की खुशबू💐💐 आज की कहानी थोड़ी बड़ी है अंत तक पढियेगा- दस-पंद्रह दिन मायके में बिताकर आई नेहा ने आज बड़े ही ख़ुशनुमा मूड में फिर से स्कूल जॉइन किया था. मायके की खट्टी-मीठी स्मृतियों में डूबते-उतराते उसने स्टाफ रूम में प्रवेश किया, तो साथी अध्यापिकाएं उसे इतने दिनों बाद अपने बीच पाकर चहक उठीं. “ओ हो, साड़ी तो बड़ी ख़ूबसूरत मिली है मायके से! प्योर सिल्क लगती है. क्यों प्राची, ढाई हज़ार से कम की तो क्या होगी?” मधु ने पास बैठी प्राची को कोहनी मारी. “मेरी नज़रें तो कंगन और पर्स पर ही अटकी हैं. तेरी भाभी की चॉइस अच्छी है.” प्राची ने कहा. इसके आगे कि कोई और अपनी अपेक्षाओं का पिटारा खोले, नेहा ने बीच में हस्तक्षेप करना ही उचित समझा. “यह साड़ी तो अभी एनीवर्सरी पर तनुज ने दिलवाई थी. और ये कंगन और पर्स मैंने एग्ज़ीबिशन से लिए थे.” “कुछ भी कहो, आजकल मायके जाना कोई आसान सौदा नहीं रह गया है. जितना मिलता नहीं, उससे ज़्यादा तो देना पड़ जाता है. ! https://t.me/joinchat/QI-b20XE2vYhy6Ke_XBHGw पिछली बार भतीजे-भतीजी के लिए ब्रांडेड कपड़े ले गई थी. भाभी के लिए इंपोर्टेड कॉस्मेटि...

sachchi bhakti

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🌳🦚 आज की कहानी 🦚🌳 💐💐ईश्वर सबकी सुनता हैं💐💐 शहर के बीचोबीच एक हाए सोसाइटी की बिल्डिंग थीं । उसमें सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर अविनाश रहता था । वो रोज खाना खाने के बाद रात को 9 से 10 बजे तक ऊपर छत पर घूमता था । और उस बिल्डिंग के पास ही कुछ जुग्गी झोपड़ी बनी हुई थी । पिछले एक-डेढ़ महीने से वो रोज उस बच्चे को देख रहा था, जो रोज एक गुब्बारे को छोड़ देता था और उसे तब तक देखता रहता जब तक वह आँखों से ओझल न हो जाए ।  एक दिन अविनाश दोस्त से बात करने में थोड़ा लेट हो गया । और जब ऊपर घूमने गया तो उसे वो बच्चा नहीं दिखा । अविनाश ने ऊपर देखा की कही गुब्बारा उड़ता हुआ दिख जाये । तो उसे वो गुब्बारा पानी की टंकी में अटका हुआ दिखा । अविनाश समझ गया की यह उस बच्चे का ही है । और उसने सोचा की उस गुब्बारे को निकालकर उड़ा दूँ । और वह टंकी पर चढ़ा । उसने देखा गुब्बारे पर कुछ लिखा हुआ था। अविनाश उसे पढ़कर बैचेन हो गया ।  उस पर लिखा था कि ....... हे ऊपर वाले मेरी माँ की तबियत बहुत खराब है और उसके इलाज के लिए किसी को भेज दें मेरे पास इतने सारे पैसे नहीं है । यह पढ़कर अविनाश को रात भर नींद नहीं आयी ...

jivan jine ki kala

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🌳🦚आज की कहानी🦚🌳 💐💐मेरे जीवन जीने की कला💐💐 मेरे बचपन मे मेरे गाँव में पंचायत लगी थी। वहीं थोड़ी दूरी पर एक सन्त ने अपना बसेरा किया हुआ था। जब पंचायत किसी निर्णय पर नहीं पहुच सकी तो किसी ने कहा कि क्यों न हम महात्मा जी के पास अपनी समस्या को लेकर चलें, अतः सभी सन्त के पास पहुँचे। जब सन्त ने गांव के लोगों को देखा तो पुछा कि कैसे आना हुआ ? तो लोगों ने कहा, “महात्मा जी गाँव भर में एक ही कुआँ हैं और कुँए का पानी हम नहीं पी सकते, बदबू आ रही है।” सन्त ने पुछा- हुआ क्या ? पानी क्यों नहीं पी सकते हो ? लोग बोले- तीन कुत्ते लड़ते लड़ते उसमें गिर गये थे। बाहर नहीं निकले, मर गये उसी में। अब जिसमें कुत्ते मर गए हों, उसका पानी कैसे पिये महात्मा जी ? सन्त ने कहा - 'एक काम करो, उसमें गंगाजल डलवाओ। कुएं में गंगाजल भी आठ दस बाल्टी छोड़ दिया गया। फिर भी समस्या जस की तस रही। लोग फिर से सन्त के पास पहुँचे। अब सन्त ने कहा, "भगवान की कथा कराओ।” लोगों ने कहा, “ठीक है।” कथा हुई, फिर भी समस्या जस की तस। लोग फिर सन्त के पास पहुँचे। अब सन्त ने कहा, उसमें सुगंधित द्रव्य डलवाओ। सुगंधित द्रव्...