ayurvedic medicine
[12/28/2020, 12:04 PM] +91 94641 94339: *दिल (hart)की बीमारी*
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है, वो अमेरिका मे 20 20 साल से बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart patient) को सबसे ज्यादा दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !-
लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !-
और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर (180 रूपया) का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको !-
और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !-
तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!-
आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाती हैं। और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !-
अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!-
हमारे देश भारत मे 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!-
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने अनेक बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!-
वागवट जी लिखते है कि कभी भी ह्रदय घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !-
अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!-
अमलता दो तरह की होती है !-
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!-
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती हैं।-
और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!-
इलाज क्या है ??-
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय (alkaline) है !-
आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !-
अमलीय और छारीय !!-
(acid and alkaline )-
अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????-
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????-
neutral होता है सब जानते है !!-
तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!-
अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????-
आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!-
सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है...लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!-
स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !
वो बताते नहीं वे कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर क्लिनिक में ऑपरेशन करने लग जाएंगे ।आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!
तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है।
वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!
कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!
कब पिये ??
सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के एक घंटे के बाद पी सकते है !!
इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!
तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!
और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला को दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!
*
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
[12/28/2020, 12:10 PM] +91 94641 94339: 🍃 *आरोग्यं :*-
*मुलेठी के घरेलू आयुर्वेदिक फायदे -*
*1. शरीर में पानी की पूर्ति -*
जब आपको बार-बार प्यास लगती है तो
मुलेठी को चूसने से आपके शरीर को 50 प्रतिशत
पानी की मात्रा मिलती है,जो हमारे शरीर में पानी
से पूर्ति करती है।
*2. गले की समस्या -*
गले में किसी भी प्रकार की कोई समस्या
हो मुलेठी को चूसने से आपको फायदा मिलता है।
इससे गला तो ठीक होता है,साथ ही हमारी आवाज
भी मधुर बनती है।
[12/28/2020, 12:12 PM] +91 94641 94339: *||🚨❇️🚨||*
*||*
*"नवग्रह दोष निवारण :: साधारण उपाय"*
*||*
*सूर्य दोष के लक्षण :~*
असाध्य रोगों के कारण परेशानी..!!
सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट..!!
सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा..!!
*उपाय :~*
भगवान विष्णु की आराधना करें..!!
*'ऊं नमो भगवते नारायणाय'* मंत्र की 1 माला लाल चंदन की माला से जाप करें..!!
गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें..!!
बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें..!!
सवा पांच रत्ती का माणिक तांबे की अंगूठी में बनवायें और रविवार को सूर्योंदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें..!!
मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें और पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें..!!
घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें..!!
*चंद्रमा दोष के लक्षण :~*
जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी..!!
घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका, अकारण शत्रुओं का बढ़ना..!! धन की हानि..!!
*उपाय :~*
भगवान शिव की आराधना करें..!!
ऊं नम शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 माला जाप करें..!!
बड़े बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें..!!
सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को जाएं हाथ अनामिका में धारण करें..!!
शीशे की गिलास में दूध, पानी पीने से परेहज करें 28 वर्ष के बाद विवाह का निर्णय लें और लाल रंग का रूमाल हमेशा जेब में रखें..!!
माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ..!!
*मंगल दोष के लक्षण :~*
घर में चोरी होने का डर..!!
घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका..!!
भाई के साथ संबंधों में अनबन..!!
दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका..!!
*उपाय :~*
भगवान हनुमान की आराधना करें..!!
ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें..!!
हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें..!!
त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें..!!
400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पिवत्र जल में प्रवाहित करें..!!
घर में नीम का पौधा लगायें..!!
बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलायें..!!
बहन, बुआ को कपड़े भेंट न दें
तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें..!!
*बुध दोष के लक्षण :~*
स्वभाव में चिड़चिड़ापन..!!
जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि..!!
दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी. !!
सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति..!!
*उपाय :~*
मां दुर्गा की आराधना करें..!!
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें. !!
देवी के सामने अखंड घी का दीया जलायें. !!
घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगायें..!!
सोने के आभूषण धारण करें, हरे रंग से परहेज करें..!!
खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें..!!
चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पंचपल्लव का तोरण लगायें..!!
100 ग्रíम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें..!!
*गुरू दोष के लक्षण :~*
सोने की हानि, चोरी की आशंका..!!
उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं..!!
झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी. !!
पिता को हानि होने की आशंका..!!
*उपाय :~*
परमपिता ब्रह्मा की आराधना करें..!!
बहते पानी में बादाम, तेल, नारियल प्रवाहित करें..!!
माथे पर केसर का तिलक लगायें. !!
सोने की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का पुखराज गुरूवार को दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें..!!
पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई करें..!!
पीपल के पेड़ पर 7 बार पीला धागा लेपटकर जल दें. !!
600 ग्राम पीले चने मंदिर में दान दें..!!
जुए-सट्टे की लत न पालें, मांसाहार-मद्यपान से परहेज करें..!!
कारोबार में भाई का साथ लाभकारी संबंध मधुर बनायें रखें..!!
*शुक्र दोष के लक्षण :~*
बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी..!!
राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव. !!
जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव..!!
*उपाय :~*
मां लक्ष्मी की आराधना करें..!!
*ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम* - रोज रात में इस मंत्र की 1 माला जाप करें..!!
मां लक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला चढ़ायें..!!
मंदिर में आरती पूजा के लिए गाय का घी दान करें..!!
2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलायें..!!
चांदी या मिटटी के बर्तन में शहद भरकर घर की छत पर दबा दें
आडू की गुटली में सूरमा भरकर घास वाले स्थान पर दबा दें..!!
शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे के बर्तन का दान करें..!!
लाल रंग के गाय की सेवा करें, 800 ग्राम जिमीकंद मंदिर में दान करें..!!
*शनि दोष के लक्षण :~*
पैतृक संपत्ति की हानि, हमेशा बीमारी से परेशानी..!!
मुकदमे के कारण परेशानी. !!
बनते हुए काम का बिगड़ जाना..!!
*उपाय :~*
भगवान भैरव की आराधना करें..!!
ऊं प्रां प्रीं प्रौं शं शनिश्चराय नम मंत्र का 1 माला जाप करें..!!
शनिदेव का 1 किलो सरसों के तेल से अभिषेक करें..!!
सिर पर काला तेल लगाने से परहेज करें..!!
43 दिन तक लगातार शनि मंदिर में जाकर नीले पुष्प चढ़ायें..!!
कौवे या सांप को दूध, चावल खिलायें..!!
किसी बर्तन में तेल भरकर अपना चेहरा देखें, बर्तन को जमीन में दबा दें..!!
शनिवार 800 ग्राम दूध, उड़द जल में प्रवाहित करें..!!
जल में दूध मिलाकर लकड़ी या पत्थर पर बैठकर स्नान करें..!!
घर की छत पर साफ-सफाई का ध्यान रखें..!!
12 नेत्रहीन लोगों को भोजन करायें..!!
*राहु दोष के लक्षण :~*
मोटापे के कारण परेशानी..!!
अचानक दुर्घटना, लड़ाई-झगड़े की आशंका..!!
हर तरह के व्यापार में घाटा..!!
*उपाय :~*
मां सरस्वती की आराधना करें..!!
ऊं ऐं सरस्वत्यै नम मंत्र का 1 माला जाप करें..!!
तांबे के बर्तन में गुड़, गेहूं भरकर बहते जल में प्रवाहित करें..!!
माता से संबंध मधुर रखें..!!
400 ग्राम धनिया, बादाम जल में प्रवाहित करें..!!
घर की दहलीज के नीचे चांदी का पत्ता लगायें..!!
सीढ़ियों के नीचे रसोईघर का निर्माण न करवायें..!!
रात में पत्नी के सिर के नीचे 5 मूली रखें, सुबह मंदिर में दान कर दें..!!
मां सरस्वती के चरणों में लगातार 6 दिन तक नीले पुष्प की माला चढ़ायें..!!
चांदी की गोली हमेशा जेब में रखें..!!
लहसुन, प्याज, मसूर के सेवन से परहेज करें..!!
*केतु दोष के लक्षण :~*
बुरी संगत के कारण धन का हानि..!!
जोड़ों के दर्द से परेशानी..!!
संतान का भाग्योदय न होना, स्वास्थ्य के कारण तनाव..!!
*उपाय :~*
भगवान गणेश की आराधना करें..!!
ऊं गं गणपतये नम मंत्र का 1 माला जाप करें..!!
गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें..!!
कुंवारी कन्याओं का पूजन करें, पत्नी का अपमान न करें..!!
घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ तांबे की कील लगायें..!!
पीले कपड़े में सोना, गेहूं बांधकर कुल पुरोहित को दान करें..!!
दूध, चावल, मसूर की दाल का दान करें..!!
बाएं हाथ की अंगुली में सोना पहनने से लाभ 43 दिन तक मंदिर में लगातार केला दान करें..!!
काले व सफेद तिल बहते जल में प्रवाहित करे..!!
[12/28/2020, 12:12 PM] +91 94641 94339: #चूना जो पान में लगा के खाया जाता है , उसकी एक डिब्बी ला कर घर में रखे .
- यह सत्तर प्रकार की बीमारियों को ठीक कर देता है . गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी #पीलिया ठीक हो जाता है .
- चूना #नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे . जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए .
- #शुगर रोज़ सुबह ख़ाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटे चने के बराबर चुना मिलकर पीने से शुगर जड़ से ख़त्म हो जाती हैं ( समय समय पर जाँच करवाते रहे.. वरना शुगर का लेवल माइनस भी हो सकता हैं )
- विद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छा है जो #लम्बाई बढाता है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है । जिन बच्चों की बुद्धि कम है ऐसे मतिमंद बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है चूना . जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करता है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
- बहनों को अपने #मासिक_धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना चाहिए . इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती .
- जब कोई माँ #गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है . गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला फायदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगी , दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है .
- चूना #घुटने_क_दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है . कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दूरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है जिसे ये चूना ही ठीक करता है . रीढ़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होती है . अगर हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है . इसके लिए चूने का सेवन सुबह खाली पेट करे .
- अगर मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाने से बिलकुल ठीक हो जाता है , मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पिने से तुरन्त ठीक हो जाता है । शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना . गन्ने के रस में , या संतरे के रस में , नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में डाल कर चूना ले . अनार के रस में चूना पिने से खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ले .
- भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार है और वे महर्षि वाग्भट के अनुयायी है . पर पान बिना तम्बाखू , सुपारी और कत्थे के ले . तम्बाखू ज़हर है और चूना अमृत है . कत्था केन्सर करता है, पान में सौंठ , इलायची , लौंग , केसर , सौंफ , गुलकंद , चूना , कसा हुआ नारियल आदि डाल के खाए .
- अगर घुटने में घिसाव आ गया हो और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हरसिंगार ( पारिजातक या प्राजक्ता ) के पत्ते का काढ़ा पीजिये , घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे ।
चूना खाइए पर चूना लगाइए मत .
ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है.
[12/28/2020, 12:13 PM] +91 94641 94339: गठिया
गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खाने से गठिया खत्म हो जाती है।
चार चम्मच दानेदार मेथी रात को एक गिलास पानी में भिगो दें।
सुबह पानी को छानकर गुनगुना गर्म करके पिए। भीगी हुई मेथी को गीले कपड़े में पोटली बाँधकर रख दें।
24 घन्टे बाद पोटली को खोले। यह अंकुरित हो जाएंगे। इन अंकुरित मेथी को खाएं। नमक - मिर्च अन्य चीजें ने मिलाएं।
ऐसा कुछ महीने करते रहें, वात, गठिया, घुटनों के दर्द आदि में लाभ होगा।
[12/30/2020, 10:49 AM] +91 94641 94339: *बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए नुस्खा*-
कई लोग लंबाई बढ़ाने के लिए महंगे महंगे ट्रीटमेंट भी कराते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर असफल ही रहते हैं। कई बार तो इन इसकी दवाओं से लोगों को नुकसान तक हो जाता है। लेकिन अगर सही मात्रा में प्रोटीन और आहार मिल जाए तो रुकी हुई हाइट दौबारा बढ़ सकती है।
*1.बरगद के पेड़ का फल -50 ग्राम*
*2.मिश्री - 50 ग्राम*
*3.जीरा- 50 ग्राम*
बरगद के पेड़ के फल, मिश्री और जीरा तीनों को एक साथ लेकर मिक्सी में अच्छे से पीस लें। मिश्रण बनने के बाद इन सभी चीजों का वज़न 150 ग्राम के करीब हो जाएगा। इस पाउडर को एक जार में भरकर रख लें। अगर आपकी उम्र 18 साल से कम है तो आप आधा चम्मच चूर्ण सुबह उठते ही खाली पेट सेवन करें, और यदि आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा है तो इसका एक चम्मच आपको दूध के साथ लें। इस उपाय को करने से पहले आप अपनी हाइट अवश्य नाप लें, ताकि थोड़े थोड़े दिनों में आपको फर्क मेहसूस करने में आसानी रहे। इस उपाय को 40 दिनों तक करें। इससे आपकी हाइट तो बढ़ेगी ही, साथ ही आपका दिमाग भी तेज होगा और त्वचा में भी निखार बढ़ेगा।
यह सिर्फ 21 साल तक के लिए ही है।
*सूर्यनमस्कार रोज करें*
[1/1, 7:56 PM] +91 94641 94339: *यह केमिकल कम्पोजिशन बच्चों को नियमित रूप से दें...*
*मिश्री + नारियल = बुद्धिवर्धक*
*(गणपती बप्पा का प्रसाद)*
*गुड़ + चना + मूंगफली = शक्तिवर्धक*
*(श्री हनुमानजी का प्रसाद)*
*तिल + गुड़ = कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन + जिंक + सेलेनियम*
*ह्रदयरोग के लिए फायदेमंद और ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए उपयोगी ! सेलेनियम - कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करता है !*
*सुर्य देव का प्रसाद*
*गोंद के लड्डू या राजगिरा के लड्डू*
*गुड-देसी घी रोटी, मूंगफली की चिक्की या भीगे हुए चने, चना, लाह्या (पापकाँन), मक्का के फूले, ज्वार के फूले*
*यदि हम ऐसे कई पदार्थों के मिश्रण केमीकल कंम्पोजिशन को देखे तो, वे शरीर के लिए फायदेमंद होंगे.....*
*हमें केवल त्यौहारों को मनाने के लिए सिखाया जाता है, इसके पीछे का विज्ञान, उस वातावरण में उसी वातावरण का ही भोजन क्यों खाते हैं ? यह सिखाया नहीं जा रहा है।*
*हमारे पूर्वज, योद्धा, Born Vita,PediaSure, काम्प्लेन तो नहीं पीते थे, है ना ?*
*तो क्या वह कमजोर, शक्तिहीन थे ?*
*अरे, हमारा एक हिन्दू योद्धा अकेले ही लड़ता था 50-50 दुश्मनों से.....*
*स्वदेशी खाओ, ताकत बढ़ाओ...*
*स्वदेशी आहार अभियान....*
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: फोड़े फुन्सी होने पर
प्रयोगः अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।
या: एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: *ठंड के मौसम में तिल जरूर खाएं, जानिए 7 बेहतरीन फायदे*
1. तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
2. तिल खाना दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है।
3. तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
4. तिल में कुछ ऐसे तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं।
5. तिल में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम जैसे तत्व होते हैं, जो हृदय की मांसपेशियों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं।
6. तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों की हड्डियों के विकास में सहायक होता है।
7. तिल का तेल त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी मदद से त्वचा को जरूरी पोषण मिलता है और इसमें नमी बरकरार रहती है।
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: कुछ अचूक रामबाण घरेलू नुस्खे
#################
दोस्तों आज हम आपको वो बतायेंगे जो कभी आपको आपकी दादी मां या फिर कोई बुजुर्ग महिला जो आपके घर के पास रहतीं हों वो भी जरूर बतातीं होंगी। ऐसा आपने अक्सर देखा होगा घर में जब भी किसी को कोई चोट लगे कोई कीड़ा काट ले या फिर कोई भी छोटी मोटी बिमारी हो जाती है तो बहुत से लोग अपनी अपनी राय देने लगते हैं ये करो वो करो तो उन्होंने भी कहीं न कहीं से ये सब सुना ही होता है जो वो आपको बताते हैं और मैं भी आपसे यही कहुंगा कि हमारे घर में हमारी दादी या फिर कोई बड़े बूढ़े जो भी घरेलू उपचार बताते हैं वो उनके परखे हुए होते हैं इसलिए दोस्तों अक्सर घर के बुजुर्गों के पास ही हर समस्या का समाधान मिल जाया करता है, जो रामबाण इलाज होता है। ऐसी ही कुछ छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिन्हें हल करने के लिए दादी मां के यह रामबाण घरेलू नुस्खे मैं आपको बताने जा रहा हूं । जरूर जानिए ...
1. कान दर्द - प्याज पीसकर उसका रस कपड़े से छान लें। फिर उसे गरम करके 4 बूंद कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
2. दांत दर्द - हल्दी एवं सेंधा नमक महीन पीसकर, उसे शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर सुबह-शाम मंजन करने से दांतों का दर्द बंद हो जाता है।
3. दांतों के सुराख - कपूर को महीन पीसकर दांतों पर उंगली से लगाएं और उसे मलें। सुराखों को भली प्रकार साफ कर लें। फिर सुराखों के नीचे कपूर को कुछ समय तक दबाकर रखने से दांतों का दर्द निश्चित रूप से समाप्त हो जाता है।
4. बच्चों के पेट के कीड़े - छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हों तो सुबह एवं शाम को प्याज का रस गरम करके 1 तोला पिलाने से कीड़े अवश्य मर जाते हैं। धतूरे के पत्तों का रस निकालकर उसे गरम करके गुदा पर लगाने से चुन्ने (लघु कृमि) से आराम हो जाता है।
5. गिल्टी का दर्द - प्याज पीसकर उसे गरम कर लें। फिर उसमें गो-मूत्र मिलाकर छोटी-सी टिकरी बना लें। उसे कपड़े के सहारे गिल्टी पर बांधने से गिल्टी का दर्द एवं गिल्टी समाप्त हो जाती है।
6. पेट के केंचुए एवं कीड़े - 1 बड़ा चम्मच सेम के पत्तों का रस एवं शहद समभाग मिलाकर प्रात:, मध्यान्ह एवं सायं को पीने से केंचुए तथा कीड़े 4-5 दिन में मरकर बाहर निकल जाते हैं।
7. छोटे बच्चों को उल्टी दस्त - पके हुए अनार के फल का रस कुनुकुना गरम करके प्रात:, मध्यान्ह एवं सायं को 1-1 चम्मच पिलाने से शिशु-वमन अवश्य बंद हो जाता है।
8. कब्ज दूर करने हेतु - 1 बड़े साइज का नींबू काटकर रात्रिभर ओस में पड़ा रहने दें। फिर प्रात:काल 1 गिलास चीनी के शरबत में उस नींबू को निचोड़कर तथा शरबत में नाममात्र का काला नमक डालकर पीने से कब्ज निश्चित रूप से दूर हो जाता है।
9. आग से जल जाने पर - कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल लें, फिर जले हुए स्थान पर उस रस को लगाने से आराम हो जाता है। इसके अतिरिक्त इमली की छाल जलाकर उसका महीन चूर्ण बना लें, उस चूर्ण को गो-घृत में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है।
10. कान की फुंसी - लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर, उस तेल को सुबह, दोपहर और शाम को कान में 2-2 बूंद डालने से कान के अंदर की फुंसी बह जाती है अथवा बैठ जाती है तथा दर्द समाप्त हो जाता है।
11. कुकुर खांसी - फिटकरी को तवे पर भून लें और उसे महीन पीस लें। तत्पश्चात 3 रत्ती फिटकरी के चूर्ण में समभाग चीनी मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से कुकुर खांसी ठीक हो जाती है।
12. पेशाब की जलन - ताजे करेले को महीन-महीन काट लें। पुन: उसे हाथों से भली प्रकार मल दें। करेले का पानी स्टील या शीशे के पात्र में इकट्ठा करें। वही पानी 50 ग्राम की खुराक बनाकर 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) पीने से पेशाब की कड़क एवं जलन ठीक हो जाती है।
13. फोड़े - नीम की मुलायम पत्तियों को पीसकर गो-घृत में उसे पकाकर (कुछ गरम रूप में) फोड़े पर हल्के कपड़े के सहारे बांधने से भयंकर एवं पुराने तथा असाध्य फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।
14. सिरदर्द - सोंठ को बहुत महीन पीसकर बकरी के शुद्ध दूध में मिलाकर नाक से बार-बार खींचने से सभी प्रकार के सिरदर्द में आराम होता है।
15. पेशाब में चीनी (शकर)- जामुन की गुठली सुखाकर महीन पीस डालें और उसे महीन कपड़े से छान लें। अठन्नीभर प्रतिदिन 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) ताजे जल के साथ लेने से पेशाब के साथ चीनी आनी बंद हो जाती है। इसके अतिरिक्त ताजे करेले का रस 2 तोला नित्य पीने से भी उक्त रोग में लाभ होता है।
16. मस्तिष्क की कमजोरी - मेहंदी का बीज अठन्नीभर पीसकर शुद्ध शहद के साथ प्रतिदिन 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर हो जाती है और स्मरण शक्ति ठीक होती है तथा सिरदर्द में भी आराम हो जाता है।
17. अधकपारी का दर्द - 3 रत्ती कपूर तथा मलयागिरि चंदन को गुलाब जल के साथ घिसकर (गुलाब जल की मात्रा कुछ अधिक रहे) नाक के द्वारा खींचने से अधकपारी का दर्द अवश्य समाप्त हो जाता है।
18. खूनी दस्त - 2 तोला जामुन की गुठली को ताजे पानी के साथ पीस-छानकर, 4-5 दिन सुबह 1 गिलास पीने से खूनी दस्त बंद हो जाता है। इसमें चीनी या कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलाना चाहिए।
19. जुकाम - 1 पाव गाय का दूध गरम करके उसमें 12 दाना कालीमिर्च एवं 1 तोला मिश्री- इन दोनों को पीसकर दूध में मिलाकर सोते समय रात को पी लें। 5 दिन में जुकाम बिलकुल ठीक हो जाएगा अथवा 1 तोला मिश्री एवं 8 दाना कालीमिर्च ताजे पानी के साथ पीसकर गरम करके चाय की तरह पीयें और 5 दिन तक स्नान न करें।
20. मंदाग्नि - अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके नींबू के रस में डालकर और नाममात्र का सेंधा नमक मिलाकर शीशे के बर्तन में रख दें। 5-7 टुकड़े नित्य भोजन के साथ सेवन करें, मंदाग्नि दूर हो जाएगी।
21. उदर विकार - अजवाइन, कालीमिर्च एवं सेंधा नमक- इन तीनों को एक में ही मिलाकर चूर्ण बना लें। ये तीनों बराबर मात्रा में होने चाहिए। इस चूर्ण को प्रतिदिन नियमित रूप से रात को सोते समय गरम जल के साथ सेवन करने से (मात्रा अठन्नीभर) सभी प्रकार के उदर रोग दूर हो जाते हैं।
22. मोटापा दूर करना - 1 नींबू का रस 1 गिलास जल में प्रतिदिन खाली पेट पीने से मोटापा दूर हो जाता है। ऐसा 3 महीने तक निरंतर करना चाहिए। गर्मी एवं बरसात के दिनों में यह प्रयोग विशेष लाभदायक होता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
किसी को अगर कुछ न समझ आये तो वो कमेंट बॉक्स में पूछ सकता है क्योंकि कुछ शब्द आयुर्वेद और संस्कृत से जुड़े हैं
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है
सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !
अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???
बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं ! छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं !और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं !
हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं ! भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया एक दिन पहले क्या खाया -दो पहले क्या खाया !! और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है ! आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं !
शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात -पित्त कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???
तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये ! कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं ! आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं ! कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है ! मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं ! ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !! और शरीर से निकले वाली वायु को वात कहते हैं !! ये अदृश्य होती है !
कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !! क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है ! ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात -पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से ही सभी रोग आते हैं !
और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं ! बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है ! बार बार खांसी ,सर्दी ,छींके आना आदि होगा ! 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं बार बार पेट दर्द करना ,गैस बनना ,खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !! और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना ,जोड़ो का दर्द आदि
_________________________
भारत मे 3 हजार साल पहले एक ऋषि हुए है उनका नाम था वाग्बट्ट ! उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था अष्टांग हृदयं !! वो ऋषि 135 साल तक की आयु तक जीवित रहे थे ! अष्टांग हृदयं मे वाग्बट्टजी कहते हैं की जिंदगी मे वात्त,पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त,पित्त और कफ नियमित रहे,संतुलित रहे और सुरक्षित रहे|जितना चाहिए उतना वात्त रहे,जितना चाहिए उतना पित्त रहे और जितना चाहिए उतना कफ रहे|तो जितना चाहिए उतना वात्त,पित्त और कफ रहे उसके लिए क्या करना है
उसके लिए उन्होने 7000 सूत्र लिखे हैं उस किताब मे !
उसमे सबसे महत्व पूर्ण और पहला सूत्र है :
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है | )
अब समझते हैं क्या कहा वाग्बट्टजी ने !!
कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना !! अब आप कहेंगे हम तो हमेशा यही करते हैं ! 99% लोग ऐसे होते है जो पानी लिए बिना खाना नहीं खाते है |पानी पहले होता है खाना बाद मे होता है |बहुत सारे लोग तो खाना खाने से ज्यादा पानी पीते है दो-चार रोटी के टुकडो को खाया फिर पानी पिया,फिर खाया-फिर पानी पिया ! ऐसी अवस्था मे वाग्बट्टजी बिलकुल ऐसी बात करते हे की पानी ही नहीं पीना खाना खाने के बाद ! कारण क्या ? क्यों नहीं पीना है ??
ये जानना बहुत जरुरी है ...हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद क्या कारण है |
बात ऐसी है की हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |
अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|
अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना की जेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|
ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|
अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|
अब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है ,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|
ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?
अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|
खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |
और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |
इससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|
खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |
तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोई LDL - VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |
मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |
क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !
पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !
तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|
महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!
खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! और यही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )
इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !
अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???
तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??
बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )
पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!
जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !
जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??
ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचाने के लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !
जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!
शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !
_________________
ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???
तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????
बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
इसका जरूर पालण करे ! अधिक अधिक लोगो को बताएं post share करे !!..
बहुत बहुत धन्यवाद !
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: *अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं*
_विभिन्न लोगों के अपने अपने अनुभव_
1. एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिर दर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। उन्होंने बताया कि उन्हें कलकत्ता में एक बूढ़े व्यक्ति ने, जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था, सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।
2. एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ हो गई।
3. एक व्यापारी अवकाश के लिए चित्राल गया था। वहाँ एक होटल में सो नही पा रहा था तो बाहर घूमने लगा। बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने पूछा कि, "क्या बात है?" उसने कहा नींद नहीं आ रही है! वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" उसने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कि कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" उसने वैसा ही किया फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया।
4. मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।
5. मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।
6. वास्तव में! इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। रात को पैरों के तलवों की तेल से मालिश ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।
7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं।
8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।
9. मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।
10. रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।
11. बड़ी अदभुत बात है। यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।
12. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।
13. मेरे पैर सुन्न हो रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। अब एक बड़ा अंतर है।
14. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था। उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा। मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है। खर्राटों को रोकता है।
15. पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है।
16. तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।
17. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था। जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।
18. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।
*रहस्य इस प्रकार है:*
रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है।
*किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए।* रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं। क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।
*प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं। उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सोलॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।*
*कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करें*
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: 🙏🌹राधे राधे जी🌹🙏
🙏सभी के लिए है यह नुकसा🙏
कमर दर्द, घुटने का दर्द, सिर में दर्द के लिए----
🌹सामग्री🌹
1----अखरोट 250 ग्राम
2----बादाम--250ग्राम
3----पौस्त के दाने--50 ग्राम
4-----चारोमगज---50ग्राम
5-----काली मिर्च---10ग्राम
6---छोटी इलायची---10 ग्राम
7----अश्वगंधा-------2 टी स्पुन
8-------मिश्री--250ग्राम
लेने की विधि----- सभी को मिलाकर पीस ले।और नाश्ते में दुध के साथ एक टी स्पुन से दो टी स्पुन तक ले सकते हैं।
🙏अगर दुध के अंदर ( दारचीनी पाउडर, मलेहटी पाउडर, सूंठ पाउडर, और छोटी पीपली पाउडर मिला कर रखले। एक चुटकी दुध में ड़ालकर उबाल लें। ) तो सोने में सुहागे का कार्य करेगा।
🙏जहां तक मेरा विचार से चाय कोफी छुट जानी चाहिए।
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: *लहसुन और शहद एक साथ खाने के फायदे*
आयुर्वेद में कहा गया है कि शहद के नियमित इस्तेमाल से आप बढ़ती उम्र में भी युवापन का एहसास कर सकते हैं।
लहसुन आंत के कीड़ों को निकाल देता है। घावों को शीघ्र भरता है। तमाम रोगों में कच्चा लहसुन ही विशेष फायदेमंद होता है। न कि व्यवसायिक रूप में लहसुन से बनाई गई दवाई।
अगर आप हर वक्त बीमार रहते हैं और थकान की वजह से आपका मन किसी काम में नहीं लगता तो, इसका साफ मतलब है कि आपका इम्यूएन सिस्टम कमजोर हो गया है. अगर इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है तो इंसान को सौ तरह की बीमारियां घेर लेती हैं. पर क्या आप जानते हैं कि लहसुन और शहद को एक साथ मिला कर खाने से ये एंटीबायोटिक का काम करते हैं. यह एक प्रकार का सूपर फूड है |
विधि👉 इसे बानने के लिये 2-3 बड़ी लहसुन की कली को हल्का सा दबा कर कूट लीजिये और फिर उसमें शुद्ध कच्ची शहद मिलाइये. इसे कुछ देर के लिये ऐसे ही रहने दीजिये, जिससे लहसुन में पूरा शहद समा जाए. फिर इसे सुबह खाली पेट 7 दिनों तक खाइये और फिर देखिये कमाल. हमेशा कच्चे लहसुन और शुद्ध शहद का ही प्रयोग करें क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने के मदद करता है. साथ ही इसे खाने से वजन भी कम होता है।
*कच्ची् लहसुन और शुद्ध शहद खाने के लाभ*
*1👉 इम्यूनिटी बढ़ाए*
लहसुन और शहद के मेल से इस घोल की शक्ति बढ जाती है और फिर यह इम्यून सिस्टम को मजबूत कर देता है. इम्यून सिस्टम मजबूत होने से शरीर मौसम की मार से बचा रहता है और उसे कोई बीमारी नहीं होती.
*2👉 दिल की सुरक्षा करे*
इस मिश्रण को खाने से हृदय तक जाने वाली धमनियों में जमा वसा निकल जाता है, जिससे खून का प्रवाह ठीक प्रकार से हृदय तक पहुंच पाता है। इससे हृदय की सुरक्षा होती है।
*3👉 गले की खराश दूर करे*
इस मिश्रण को लेने से गले का संक्रमण दूर होता है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं। यह गले की खराश और सूजन को कम करता है।
*4👉 डयरिया से बचाए*
अगर किसी को डायरिया हो रहा हो तो, उसे इसका मिश्रण खिलाएं । इससे उसका पाचन तंत्र दुरुस्त हो जाएगा और पेट के संक्रमण मर जाएंगे।
*5👉 सर्दी-जुखाम से राहत दिलाए*
इसको खाने से सर्दी-जुखाम के साथ साइनस की तकलीफ भी काफी कम हो जाती है। यह मिश्रण शरीर की गर्मी बढ़ाता है और बीमारियों को दूर रखता है।
*6👉 फंगल इंफेक्शन से बचाए*
फंगल इंफेक्शन, शरीर के कई भागों पर हमला करते हैं, लेकिन एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरा यह मिश्रण बैक्टीरिया को खतम कर के शरीर को बचाता है।
*7👉 डीटॉक्स करे*
यह एक प्राकृतिक डीटॉक्स मिश्रण है, जिसे खाने से शरीर से गंदगी और दूषित पदार्थ बाहर निकलता है।
*8👉 यौन शक्ति को बढाता है*
शुद्ध और बिना गर्म किया शहद यौन उत्तेजना बढाता है क्योंकि इसमें अनेक पदार्थ जैसे, जिंक, विटामिन ई आदि होता है। जो कि पौरूष और प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। इसके अलावा, रात को रोज सोते वक्त शहद पिसा लहसुन एक साथ मिक्स कर के खाना चाहिये, क्योंकि यह एक आपके सेक्जुअल स्टैमिना और प्लेजर को बढ़ा देगा।
*इसके अलावा शहद और दालचीनी भी बाझपन, गठिया, बाल झड़ना, दांतदर्द, कफ, पेट की खराबी, वेट लॉस और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है।*
शारीरिक प्रकृति को ध्यान में रख कृपया अपने वैद्य से राय जरूर ले।
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: *ना पचे तो यह करे उपाय।।*
----------------------------------------
दूध ना पचे तो सोंफ ,
दही ना पचे तो सोंठ,
छाछ ना पचे तो जीरा व काली मिर्च,
अरबी व मूली ना पचे तो अजवायन,
कड़ी ना पचे तो कड़ी पत्ता,
तैल, घी, ना पचे तो कलौंजी,
पनीर ना पचे तो भुना जीरा,
भोजन ना पचे तो गर्म जल,
केला ना पचे तो इलायची,
ख़रबूज़ा ना पचे तो मिश्री का
उपयोग करें व परिणाम देखें।
[1/1, 8:01 PM] +91 94641 94339: *सभी प्रकार के रोग"में लाभदायक"परीक्षित नुस्खा*
👇 👇 👇 👇 👇
*"*चिया के बीज एक चम्मच*
*"*अलसी एक चम्मच*
*"*मेथी दाना एक चम्मच*
*"*खसखस एक चम्मच*
*"*जीरा एक चम्मच*
*"*अखरोट एक चम्मच*
*"*बादाम चार दाने*
*"*सभी को एक गिलास गर्म पानी में डालकर रातभर" भिगोकर रखें*
*"*सुबह खाली पेट चबा चबा*
*"*कर सेवन करें और पानी*
*"*भी पीना चाहिए*
*"*नियमित रूप से चालीस*
*"*दिनों तक सेवन करने से*
*"*शरीर के सभी विकार "ठीक हो जाएंगे*
*"*यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है*
[1/3, 8:06 PM] +91 94641 94339: *टाइफाइड -आयुर्वेदिक उपाय:*
*गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है ।*
*अजमोद का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ सुबह शाम चाटने से लाभ होता है।*
*मोथा, पित्त पापड़ा, मुलहठी, मुनक्का चारों को समभाग लेकर अष्टावशेष क्वाथ करें। इसे शहद डालकर पिलाने से ज्वर, दाह, भ्रम व वमन आदि नष्ट होते हैं।*
*नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे के बाद पिलाने से आन्त्रिक ज्वर उतर जाता है । यह योग मल निकालता है। शरीर में ताजा खून बनाता है, नयी शक्ति का संचार करता है । यदि मलेरिया बुखार से टायफाइड बना हो तो नीम जैसी औषधि के अतिरिक्त अन्य कोई सस्ता और सहज शर्तिया उपचार नहीं है ।*
*जीरे को जल के साथ महीन पीसकर 4-4 घंटे के अंतर से ओष्ठों (होंठ के किनारों पर लेप करने से ज्वर उतरने के पश्चात् ज्वरजन्य ओष्ठ-प्रकोप बुखार का मूतना) अर्थात् होठों का पकना व फूटना ठीक हो जाता है ।*
*जीरा सफेद 3 ग्राम 100 मि. ली. उबलते जल में डाल दें । इसे 15-20 मिनट के बाद छानकर थोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को दें। 10-15 दिनों तक निरन्तर प्रात:काल में पीने से ज्वर उतरने के पश्चात् आने वाली कमजोरी व अग्निमान्द्य नष्ट होकर भूख खुलकर लगने लगती है।*
*टाइफाइड के बाद सावधानी :*
1- पहले लक्षण दिखलायी देने के 8 सप्ताह तक रोगी को दूसरे स्वस्थ एवं निरोगी व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए।
2- रोगी के सम्पर्क में आने वालों को टीका लगवायें, दूध और पानी उबाल कर दें, कच्चे फल एवं शाक आदि न दें तथा रोगी द्वारा छुई हुई (पकड़ी या प्रयोग में लाई गई) प्रत्येक वस्तु का शुद्ध करना चाहिए।
3- रोगी को पूर्ण विश्राम दें। 2-घूमने-फिरने न दें।
4- रोगी के बिस्तर एवं कमरे में स्वच्छता बनाये रखें। विशेषतः रोगी का बिस्तर 1-1 दिन बाद बदलवा दें तथा रोगी द्वारा प्रयोग में लाया गया बिस्तर को पूरे दिन की धूप दिखला दें। रोगी के कमरे में सूर्य का प्रकाश (रोशनी) एवं शुद्ध वायु आनी जरूरी है।
5-रोगी को अकेला न छोड़ें किन्तु उसके कमरे में अधिक भीड़-भाड़ भी न हो ।
6- रोगी के पेट, मल-मूत्र, पीठ, नाड़ी, तापमान तथा दिन में पिये जल की मात्रा का पूर्ण विवरण बनाये रखें। 7-रोगी का मुख खूब अच्छी तरह कुल्ले करवाकर शुद्ध रखना चाहिए।
8- मुँह आने और होंठ पकने पर ‘बोरो गिलेसरीन’ लगावें। रोगी की अन्तड़ियों का वायु से बहुत अधिक फूल जाना इस रोग का बुरा लक्षण है।
9- तारपीन का तेल 5 मि.ली. सवा किलो गरम पानी में मिला कर इसमें फलालेन का कपड़ा (टुकड़ा) भिगो एवं निचोड़कर गद्दी बनाकर पेट पर बाँध दें। रोगी को आराम मिलेगा।
10- दालचीनी का तेल 2-3 बूंद पेट फूलने, पेट में दर्द तथा पेट में वायु पैदा होने के लिए अत्यन्त लाभकारी है।
11- केओलिन पाउडर (चीनी मिट्टी का पिसा छना बारीक चूर्ण) या एन्टी फ्लोजेस्टिन की गर्म-गर्म पुल्टिस पूरे पेट पर फैलाकर ढंक देने से भी पेट फूलने को आराम आ जाता है।
12- घर के दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करवाकर रोगी का शरीर खौले हुए मामूली गर्म पानी से पोंछवा दें। अधिक दिनों तक लगातार शैय्या पर रहने के कारण रोगी को जो ‘शैय्या क्षत’ (बिस्तर के घाव) कमर, पीठ, कूल्हों आदि में हो जाते हैं, वे न होने पायें, इसका ध्यान रखें।
*टाइफाइड में क्या खाएं क्या न खाए :*
1- रोगी को तरल, पुष्टिकर, लघुपाकी, आहार जैसे गाय के दूध में ग्लूकोज मिलाकर दें।
2- पेट बहुत अधिक फूल जाने पर तथा समय से सही चिकित्सा न करने पर रक्त में विषैले प्रभाव फैल जाने या अन्तड़ियों में छेद हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में-कम मात्रा में भोजन खिलायें। 3-दही का मट्ठा पानी में घोलकर दूध के स्थान पर दें।
4- मीठे सेव का रस पिलायें।
5- दूध के स्थान पर दही का मट्ठा थोड़ी मात्रा में बार-बार पिलाते रहने से दस्तों में भी आराम आ जाता है।
6- तीन-चार बूंद दालचीनी का तेल’ ग्लूकोज आदि में मिलाकर रोगी को 2-2 घन्टे बाद खिलाते रहने से दस्तों की बदबू, पेट की वायु और कई दूसरे कष्ट दूर हो जाते है।
7- रोगी को रोग की प्रथमावस्था में सादा सुपाच्य भोजन दें।
8- यदि पतले दस्त न हों तो दूध दें।
9- अफारा हो तो ग्लूकोज दें।
10-रोगी को किसी भी कड़ी वस्तु का पथ्य न दें
[1/3, 8:06 PM] +91 94641 94339: *नस पर नस चढ़ना /बायंटे आना*
*👉🏻 लोगों के शरीर में किसी ना किसी हिस्से में नस चढ़ जाती है जिससे कि उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह परेशानी हमेशा पैरों,बाजू और टांगों में देखने को मिलती है।*
*1. अगर आपके पैर की नस चढ़ गई है तो रात को सोते समय तकिए के ऊपर पैर रखकर सोऐं, ऐसा करने से नस उतर जाती है और आपको दर्द से भी राहत मिलती है|*
*2. अगर नस चढ़ जाए तो बर्फ का एक टुकड़ा लेकर बर्फ को उस हिस्से पर लगाएं जहां आप की नस चढ़ी है बर्फ की मसाज करने से आपकी नस उतर जाती है|*
*3. अपने खान पान का ध्यान रखें क्योंकि शरीर में कमजोरी आने से भी नस चढ़ जाती है इसलिए किशमिश अखरोट और बादाम का सेवन जरूर करें|*
*4. अगर आपकी पैर की नस चढ़ जाए तो उसके विपरीत कान के नीचे वाले हिस्से को जोर से दबाओ इससे कुछ ही क्षणों में दर्द खत्म हो जाएगा और नस भी उतर जाएगी|*
*5. केले का सेवन करने से भी नस उतर जाती है क्योंकि केले में पोटेशियम होता है इससे ना केवल नस चढ़ने की बल्कि शरीर की अन्य बीमारियों से भी आपको राहत़ मिलती है दो केले का सेवन आपको जरूर करना चाहिए|*
*6. जिस पैर की नस चढ़ी हो उस पैर की ओर की हाथ की बीच की उंगली को नाखून के नीचे वाले हिस्से को दबाए इससे जिस पैर में आपके नस चढ़ी होगी वह चुटकियों में उतर जाएगी|*
*7. नस चढ़ना शरीर में विटामिनों की कमी का संकेत है,करीब एक महीना एक गोली मल्टी विटामिन की सुबह नाश्ते अथवा भोजन के बाद लें,पर यह अस्थाई उपचार है।आपको प्रतिदिन मौसम के कोई भी 2 फल,भोजन के साथ सलाद लेने ही चाहिए।*
[1/3, 8:06 PM] +91 94641 94339: *🌹शहद के साथ करें लहसुन का सेवन, जानिए 05 बेहतरीन लाभ*🌹
*🌸लहसुन को छीलकर इसकी कली को हल्का सा दबाकर कूट लें और फिर इसमें शहद मिलाइये। कुछ देर के रखने के बाद लहसुन में जब शहद अंदर तक भर जाए, तब इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि इसका सेवन आपको सुबह खाली पेट करना है। अब जानिए इसके सेवन से होने वाले यह 05 लाभ 🌸*
*🌻1) प्रतिरोधकता - अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता में कमी आई है, तो इसका सेवन शुरू करें, शरीर की रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए इसका उपयोग बेहद फायदेमंद साबित होगा।*🌻
*🌴2) इंफेक्शन - किसी भी तरह के फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए यह लाभकारी है। एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर यह मिश्रण आपको किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाए रखने में सहायक है।🌴*
*🌺3) कोलेस्ट्रॉल - शहद और लहसुन, दोनों ही कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह हृदय की धमनियों में जमे हुए कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मददगार साबित होता है।*🌺
*🌷4) खराश - गले की समस्याएं जैसे खराश व सूजन आदि में इसका उपयोग फायदेमंद है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह आपको पूरी तरह से राहत दिलाने में सहायक होगा।*🌷
*☘️5) सर्दी - सर्दी जुकाम से बचने के लिए इस मिश्रण का प्रयोग फायदेमंद है। तासीर में गर्म होने के कारण यह सर्दी जनित रोगों से आराम दिलाने में काफी कारगर है।*
*🚩शुद्ध वन जंगल का शहद उपलब्ध है - सुनील गोयल - 9826319019 - इंदौर - मध्यप्रदेश - 452001*🚩
[1/3, 8:06 PM] +91 94641 94339: *🌸जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे*
1. किडनी की सेहत के लिए भी नारियल पानी का सेवन करना अच्छा रहता है. ये यूरीनरी ट्रैक को साफ रखने में मददगार होता है और साथ ही किडनी में स्टोन को नहीं पनपने देता है.
2. थायरौयड मरीजों के लिए ये काफी असरदार होता है. सुबह में नारियल पानी पीने से थायरौयड हार्मोंस संतुलित रहते हैं.
3. अगर आप वजम कम करना चाहती हैं तो ये आपके लिए काफी असरदार है. इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और फैट काफी कम होता है. नारियल पानी पीने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती, जिससे घड़ी-घड़ी खाने की जरूरत नहीं होती है.
4. त्वचा को पोषण देने के लिए भी नारियल पानी पीना फायदेमंद रहता है. नारियल पानी पीने से त्वचा में नमी भी बनी रहती है.
5. इसके नियमित सेवन से बौडी की इम्युनिटी अच्छी रहती है. इससे बहुत सी बीमारियों की आशंका कम हो जाती है.🍂🍃
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: जो अच्छे डॉक्टर होते हैं, वो रोगी की चिकित्सा करने से पहले उस उनके शरीर की प्रकृति जानता है फिर रोगी के शरीर की प्रकृति जानने के बाद उनका इलाज करता है तो आइए समझते हैं कफ ,वात,पित्त प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण
★कफ प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण★
1. शारीरिक गठन - सुडौल, चिकना, मोटा शरीर होता है, इन्हें सर्दी कष्ट देती है ।
2. वर्ण - गोरा
3. त्वचा - चिकनी, पानी से गीली हुर्इ सी नम होती है, अंग सुडौल और सुन्दर
4. केश - घने, घुंघराले, काले केश होना ।
5. नाखून - नाखून चिकने
6. आंखें - सफेद
7. जीभ - सफेद रेग के लेप वाली
8. आवाज - मधुर बोलने वाला
9. मुंह - मुंह या नाक से बलगम अधिक निकलता है ।
10. स्वाद - मुंह का स्वाद मीठा-मीठा सा रहना, कभी लार का बहना ।
11. भूख - भूख कम लगती है, अल्प भोजन से तृप्ति हो जाती है, मन्दागिन रहती है ।
12. प्यास - प्यास कम लगती है ।
13. मल - सामान्य ठोस मल, मल में चिकनापन या आंव का आना ।
14. मूत्र - सफेद सा, मूत्र की मात्रा अधिक होना, गाढ़ा व चिकना होना ।
15. पसीना - सामान्य पसीना, ठंडा पसीना ।
16. नींद - नींद अधिक आना, आलस्य और सुस्ती आना ।
17. स्वप्न - नदी, तालाब, जलाशय, समुद्र आदि देखना ।
18. चाल - धीमी, स्थिर (एक जैसी) चाल वाला होता है ।
19. पसन्द - सर्दी बुरी लगती है और बहुत कष्ट देती है, धूप और हवा अच्छी लगती है, नम मौसम में भय लगता है, गरमा गरम भोजन और गर्म पदार्थ प्रिय लगते हैं, गर्म चिकने चरपरे और कड़वे पदार्थों की इच्छा अधिक होती है ।
20. नाड़ी की गति - मन्द-मन्द (कबूतर या मोर की चाल वाली), कमजोर व कोमल नाड़ी।
★वात प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण★
1. शारीरिक गठन - वात प्रकृति का शरीर प्राय: रूखा, फटा-कटा सा दुबला-पतला होता है, इन्हें सर्दी सहन नहीं होती।
2. वर्ण - अधिकतर काला रंग वाला होता है ।
3. त्वचा - त्वचा रूखी एवं ठण्डी होती है फटती बहुत है पैरों की बिवाइयां फटती हैं हथेलियाँ और होठ फटते हैं, उनमें चीरे आते हैं अंग सख्त व शरीर पर उभरी हुर्इ बहुत सी नसें होती हैं ।
4. केश - बाल रूखे, कड़े, छोटे और कम होना तथा दाढ़ी-मूंछ का रूखा और खुरदरा होना ।
5. नाखून - अंगुलियों के नाखूनों का रूखा और खुरदरा होना ।
6. आंखें - नेत्रों का रंग मैला ।
7. जीभ - मैली
8. आवाज - कर्कश व भारी, गंभीरता रहित स्वर, अधिक बोलता है ।
9. मुंह - मुंह सूखता है ।
10. स्वाद - मुंह का स्वाद फीका या खराब मालूम होना ।
11. भूख - भूख कभी ज्यादा कभी कम, पाचन क्रिया कभी ठीक रहती है तो कभी कब्ज हो जाती है, विषम अग्नि, वायु बहुत बनती है ।
12. प्यास - कभी कम, कभी ज्यादा ।
13. मल - रूखा, झाग मिला, टूटा हुआ, कम व सख्त, कब्ज की प्रवृत्ति ।
14. मूत्र - मूत्र का पतला जल के समान होना या गंदला होना, मूत्र में रूकावट की शिकायत होना ।
15. पसीना - कम व बिना गन्ध वाला पसीना ।
16. नींद - नींद कम आना, ज्यादा जम्हाइयां आना, सोते समय दांत किटकिटाने वाला ।
17. स्वप्न - आकाश में उड़ने के सपने देखना ।
18. चाल - तेज चलने वाला होता है ।
19. पसन्द - नापसन्द - सर्दी बुरी लगती है, शीतल वस्तुयें अप्रिय लगती हैं, गर्म वस्तुओं की इच्छा अधिक होती है मीठे, खटटे, नमकीन पदार्थ विशेष प्रिय लगते हैं ।
20. नाड़ी की गति - टेढ़ी-मेढ़ी (सांप की चाल के समान) चाल वाली प्रतीत होती है, तेज और अनियमित नाड़ी
पित्त प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण
1. शारीरिक गठन - नाजुक शिथिल शरीर होता है इन्हें गर्मी सहन नहीं होती ।
2. वर्ण - पीला
3. त्वचा - त्वचा पीली एवं नर्म होती है फुंसियों और तिलों से भरी हुर्इ, अंग शिथिल; हथेलियाँ, होठ, जीभ, कान आदि लाल रहते हैं ।
4. केश - बालों का छोटी उम्र में सफेद होना व झड़ना, रोम बहुत कम होना ।
5. नाखून - नाखून लाल
6. आंखें - लाल
7. जीभ - लाल
8. आवाज - स्पष्ट, श्रेष्ठ वक्ता
9. मुंह - कण्ठ सूखता है ।
10. स्वाद - मुंह का स्वाद कड़वा रहना, कभी-कभी खट्टा होना, मुंह व जीभ में छाले होना ।
11. भूख - भूख अधिक लगती है, बहुत सा भोजन करने वाला होता है, पाचन शक्ति अच्छी होती है ।
12. प्यास - प्यास अधिक लगती है ।
13. मल - मल का अधिक पतला व पीला होना, जलनयुक्त होना, दस्त की प्रवृत्ति ।
14. मूत्र - मूत्र कभी गहरा पीला होना, कभी लाल होना, मूत्र में जलन होना ।
15. पसीना - पसीना बहुत कम आना, गर्म और दुर्गन्धयुक्त पसीना ।
16. नींद - निद्रानाश ।
17. स्वप्न - अग्नि, सोना, बिजली, तारा, सूर्य, चन्द्रमा आदि चमकीले पदार्थ देखना ।
18. चाल - साधारण किन्तु लक्ष्य की ओर अग्रसर चाल वाला होता है ।
19. पसन्द - गर्मी बुरी लगती है और अत्यधिक सताती है, गर्म प्रकृति वाली चीजें पसंद नहीं आती, धूप और आग पसंद नहीं, शीतल वस्तुयें यथा-ठंडा जल, बर्फ, ठण्डे जल से स्नान, फूलमाला आदि प्रिय लगते हैं, कसैले, चरपरे और मीठे पदार्थ प्रिय लगते हैं ।
20. नाड़ी की गति - कूदती हुर्इ (मेढ़क या कौआ की चाल वाली), उत्तेजित व भारी नाड़ी होना ।
कफ को संतुलित रखने हेतु :- गुड़ ,शहद,गौमूत्र,त्रिफला
वात को संतुलित रखने हेतु :- शुद्ध तेल , गौमूत्र, त्रिफला
पित को संतुलित रखने हेतु :- देशी गाय का घी , गौमूत्र ,त्रिफला
अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: 🔆🔅🔆🔅🥔
*🔆आलू 🥔में पाए जाने वाले तत्व*
• प्रोटीन -1.6%
• कार्बोहाइड्रेट-22.9%
• पानी -74.7%
• विटामिन A-401.U./ 100 ग्राम
• कैल्शियम- 0.01%
• फास्फोरस- 0.03%
• लौह-लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग/100 ग्राम
*आलू🥔 खाने के लाभ / औषधीय प्रयोग*
🔆1- गोरापन –
आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है।
🔆2-चेहरे की झांई के लिए –
अगर चेहरे पर चेचक या मुंहासों के दाग या झांइयाँ हों तो कच्चे आलू को पीसकर 3-3 बूंद ग्लिसरीन,सिरका और गुलाब का रस मिलाकर फेस पैक बना लें। इसे रोजाना तीन मिनट तक चेहरे पर अच्छी तरह रगड़-रगड़ कर लगाने से चेहरे के दाग और झांइयाँ बहुत ही जल्दी दूर हो जाती हैं।
🔆3-हाथों की झुर्रियाँ –
कच्चे आलू के रस से मालिश करने से हाथों पर झुर्रियाँ (सिलवटें) नहीं पड़ती हैं।
🔆4-दाद के रोग में –
कच्चे आलू का रस पीने से दाद ठीक हो जाता है।
🔆5-बिवाई के फटने पर –
सूखे और फटे हुए हाथों को ठीक करने के लिए आलू को उबाल लें, फिर उसका छिलका हटाकर पीसकर उसमें जैतून का तेल मिलाकर हाथों पर लगायें 10 मिनट बाद हाथों को धोने से लाभ होता है। ( और पढ़े –
🔆6-गठिया या जोड़ों का दर्द –
गर्म राख में चार आलू सेंक ले और उनका छिलका उतारकर नमक मिर्च डालकर नित्य खाएं। इस प्रयोग से गठिया ठीक हो जाती है।
🔆7-बेरी-बेरी –
बेरी-बेरी का सरलतम सीधा-सदा अर्थ है- ‘चल नहीं सकता” इस रोग से जंघागत नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर या दबाकर रस निकालें, एक चम्मच की मात्रा के हिसाब से प्रतिदिन चार बार पिलाएं। कच्चे आलू को चबाकर रस निगलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
🔆8-सूजन –
कच्चे आलू को सब्जी की तरह काट लें। जितना वजन आलू का हो, उसके लगभग 2 गुना पानी में उसे उबालें। जब मात्र एक भाग पानी शेष रह जाए तो उस पानी से चोट से उत्पन्न सूजन वाले अंग को धोकर सेंकने से लाभ होगा।
*🔆9-मोटापा –*
*👉आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है वरन् आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी है।*
*10-चोट लगने पर –*
चोट लगने पर उस स्थान पर नीले रंग का निशान पड़ जाता है। उस नीली पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से निशान मिट जाता है।
*🔆11-अम्लता (एसीडिटी) –*
आलू की प्रकृति क्षारीय है जो अम्लता को कम करती है। जिन रोगियों के पाचन अंगों में अम्लता की अधिकता है, खट्टी डकारें आती है और वायु (गैस) अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत ही लाभदायक है। भुना हुआ आलू गेहूँ की रोटी से आधे समय में पच जाता है। यह पुरानी कब्ज और अन्तड़ियों की दुर्गन्ध को दूर करता है। आलू में पोटैशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
*12-कमर दर्द –*
कच्चे आलू के गूदे को पीसकर पट्टी में लगाकर कमर पर बांधने से कमर दर्द दूर हो जाता है। पीलिया का रोगः आलू या उसके पत्तों का क्वाथ (काय) बनाकर पिलाने से पीलिया में लाभ होता है।
*🔆13-पेट की गैस बनना –*
कच्चे आलू को पीसकर उसका रस पीने से आराम मिलता है।
*🔆🙋🏻♂️14-जलने पर –*
आलू को बारीक पीसकर शरीर में जले हुए भाग पर मोटा-मोटा सा लेप कर दें जिससे कि जले हुए भाग पर हवा न लगे। ऐसा करने से जलन मिट जाती है और जलन में आराम मिलता है।
🔆15-आंखों के नीचे कालापन –
आंखों के नीचे काले घेरों को मिटाने में आलू आपकी सहायता करेगा। कच्चे आलू के टुकड़ों को काले घेरे पर रगड़ें। आलू का गूदा भी प्रभावित जगह पर लगा सकती हैं।
काल शक्ति 🔆🔅
🔆🔅🔆🔅🥔
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: *🌹आज का आधुनिक विज्ञान भले ही कहे कि तेल और घी खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, ह्रदयरोग होता है... लेकिन आयुर्वेद इस बात को बिलकुल नही मानता है... तेल और घी स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम साबित हुए है.... उसमे भी गाय का घी और तिल का तेल तो स्वास्थ्यवर्धक है ही*🌹
*🌸तिल के तेल का सेवन करने से रक्त में रही वसा का नाश होता है, इसमे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की तो बात ही नही आती... तिल के जो गुण सूक्ष्म, तीक्ष्ण और उष्ण है और इन्ही गुणों की वजह से वो शरीर मे रही चर्बी को जला देता है...*🌸
*🌻इसलिए तिल के तेल और गाय के घी का निश्चिंत होकर उपयोग करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि तेल सिर्फ प्राकृतिक बीजों के उपयोग से और पुरानी पारंपरिक लकड़ी की कच्ची घाणी से निकाला हुआ ही होना चाहिए और घी भी देशी गौमाता के दूध से वैदिक पद्धति से बना हुआ ही होना चाहिए*🌻
*🌴इस तरह की पारंपरिक पद्धति से बने हुए तेल और घी की प्राप्ति के लिए आप संपर्क कर सकते है🌴*
*🚩सुनील गोयल - 9826319019 - इंदौर - मध्यप्रदेश - 452001*🚩
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: *दिमाग के कीड़े* *Brain worm*
*चिकित्सा :*
*नीम : लगभग 5 ग्राम नीम के पत्तों के रस में लगभग 50 मिलीलीटर तिल का तेल मिलाकर नाक में डालने या सूंघने से दिमाग के कीड़े मर जाते हैं।*
*पीपल : पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। लगभग 3 ग्राम की मात्रा में यह औषधि लेकर गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*धनिया : धनिये के रस को सिर में लगाने से दिमाग (मस्तिष्क) को शक्ति मिलती है।*
*घी : गाय के घी या बादाम रोगन की सिर पर मालिश करने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*मिश्री : लगभग 50 ग्राम मिश्री और 50 ग्राम शंखपुष्पी रोगी को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में सुबह गाय के दूध के साथ खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*त्रिफला : लगभग 200 ग्राम की मात्रा में पिसे हुए त्रिफला में 100 ग्राम खाण्ड मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से दिमाग के साथ-साथ हृदय को शक्ति मिलती है।*
*दूध : दूध में 50 मिलीलीटर ब्राह्मी रस को मिलाकर दिन में 3 बार लेने से दिमागी विकार दूर होता है।*
*वायविडंग :*
*वायविडंग का छिलका निकालकर गूदे का चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मुलहठी की जड़ का चूर्ण मिलाकर 6 से 10 ग्राम ठंडा पानी के साथ खाने से याद्दाश्त की कमजोरी दूर होती है।*
*वायविडंग, गिलोय, अपामार्ग का पंचांग, शंखाहूली का पंचांग, मीठा कूट और शतावर की जड़ बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मिश्री मिलाकर रख लें। यह 6 ग्राम शहद या घी मिलाकर चाटने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*मालकांगनी :*
*पहले दिन मालकांगनी का 1 बीज, दूसरे दिन 2 बीज और तीसरे दिन 3 बीज इसी तरह से 21 दिन तक बीज बढ़ाएं और फिर इसी तरह घटाते हुए एक बीज तक लें। बीजों को निगल कर ऊपर से दूध पीने से दिमाग की कमजोरी नष्ट होती है।*
*लगभग 3 ग्राम मालकांगनी के चूर्ण को सुबह-शाम दूध के साथ खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।*
*आटा : लगभग 10 ग्राम गेहूं के आटे का चोकर एक प्याले पानी में डालकर उबालें और छानकर दूध व चीनी मिलाकर पीने से भूलने की बीमारी खत्म हो जाती है।*
*कालीमिर्च :*
*7 कालीमिर्च और 7 ग्राम शंखाहूली बूटी को ठंडाई की तरह घोंटकर मिश्री मिलाकर पीने से दिमाग की याद्दाश्त मजबूत हो जाती है।*
*लगभग 10 ग्राम कालीमिर्च, 20 ग्राम जायफल, 6 ग्राम इलायची, 3 ग्राम देशी कपूर और डेढ़ ग्राम नौसादर के चूर्ण को बनाकर रख लें। इसको सुंघाने से दिमाग में जमा हुआ कफ निकल जाता है और याद्दाश्त की कमजोरी दूर होती है।*
*7 साबूत कालीमिर्च, 7 बादाम की गिरी और 7 ग्राम ब्रह्मबूटी को 200 मिलीलीटर पानी में रात में भिगोकर रख दें और सुबह इन सबको पीसकर चीनी मिलाकर 15 से 20 दिन तक खाली पेट पीएं। इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है।*
*सौंफ : लगभग 6 ग्राम सौंफ, 7 बादाम की गिरी और 6 ग्राम मिश्री को मिलाकर पीस लें और दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*शहद :*
*शहद में लगभग 3 ग्राम कलौंजी का चूर्ण मिलाकर चाटने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।*
*शहद में लगभग 120 ग्राम अभ्रक का भस्म व असगंधारिष्ट 4 चम्मच मिलाकर पानी के साथ खाना-खाने के बाद सुबह-शाम देने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*इलायची :*
*छोटी इलायची के बीज लगभग एक ग्राम और लगभग आधा ग्राम वंशलोचन को महीन पीसकर मक्खन में मिलाकर खाने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।*
*लगभग 10 ग्राम छोटी इलायची और लगभग 50 ग्राम वंशलोचन पीसकर लगभग 60 ग्राम चीनी मिलाकर प्रतिदिन लगभग 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लेने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।*
*बादाम :*
*लगभग 10 बादाम की गिरी, लगभग 6 ग्राम ब्राह्मी बूटी और 7 कालीमिर्च को पीसकर शर्बत बनाकर मिश्री मिलाकर 40 दिनों तक रोगी को पिलाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*लगभग 30-30 ग्राम बादाम की गिरी, बनफसा, धनिया, गुलाब के फूल और लगभग 15-15 ग्राम बालछड़ व उस्तखदूस को कूटकर मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।*
*मक्खन :*
*मक्खन या मलाई में 5 से 10 बूंद मालकांगनी का तेल मिलाकर सेवन करने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।*
*20 ग्राम मक्खन, 20 ग्राम मिश्री और 5 कालीमिर्च को घोटकर प्रतिदिन सुबह चाटने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।*
*भाई राजीव दीक्षित जी के ज्ञान से ज्ञानित व प्रोत्साहित हो निःस्वार्थ स्वस्थसमृद्ध परिवार निर्माण के पहल प्रयास में आप सभी के सहयोग आशीर्वाद के लिए बड़ो को चरण स्पर्श छोटो को शुभप्यार व सभी को दिल से धन्यवाद*
https://www.youtube.com/channel/UCy84SznSN-xnGUfX_tVks_w
*आप से विनती है आप अपना परिचय व देश समाज परिवार हित हेतु सन्देश देते हुए अपनी समस्या व अपनाये गए उपचार व हो रहे लाभ का उल्लेख करते हुए ऑडियो बनाकर भेजे जिससे इसे शेयर कर सकूँ जिसे सुनकर अन्य भाई बहन का विश्वास् ज्ञान बढे व उनका परिवार भी स्वस्थसमृद्ध बना रहे आपका अनुज अग्रज गोविन्द शरण प्रसाद वंदेमातरम जयहिन्द*
*विशेष होमियोपैथी व घरेलू चिकित्सीय सलाह हेतु आप व्यक्तिगत व्हाट्सएप सन्देश से सम्पर्क कर सकते हैं व आपातकालीन परिस्थितियों में सामान्य कॉल करके*
*Homoeo Trang: 🌹🌹डॉ. वेद प्रकाश,नवादा( बिहार)🌹8051556455 डॉ प्रेरणा अट्टारकर +91 74772 96605 भाई गोविन्द शरण प्रसाद 9958148111 ,भाई दीपक आर्य (बिहार) 90062 05353 अरुण देशाय (बिहार) 73529 04382 भाई मनीष 9560271276 भाई नितिन (महाराष्ट्र) 9699615947 भाई नीरज मिश्रा (उत्तरप्रदेश) 9580196323 भाई जनक गुजरात 9898356498 अल्पेश भाई सुथार (गुजरात)9925600189 भाई रवि दशवंत (कर्नाटक) 94210 44127 भाई रंजीत 9654946267 प्रदीप भाई 9996772040 मोनिका बहन +918233322334 व ज्योतिओमप्रकाश गुप्ता बहन +919399341299 मनदीप बहन (पंजाब) 6283021266 इंद्रजीत कौर बहन (पंजाब) 75080 80095 🌹*
*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*
*मन्त्र 1 :-*
*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*
*• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*
*• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*
*• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*
*• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*
*• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*
*• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*
*मन्त्र 2 :-*
*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*
*• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*
*• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*
*• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*
*• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*
*• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें*
*उस भोजन को ग्रहण कदापि न करें जिसे बनते हुए सूर्य प्रकाश न मिला हो अर्थात (कुकर का, फ्रीज़ का रखा व माइक्रोवेव का बना हो)*
*भाई राजीव दीक्षित जी के सपने स्वस्थ समृद्ध स्वदेशी स्वावलंबी स्वाभिमानी परिवार समाज भारत राष्ट्र के निर्माण में एक पहल आप सब भी अपने अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी के व्यख्यानों को अवश्य सुनें व यथसम्भव प्रचार प्रसार करें*
*स्वदेशीमय भारत ही हमारा अंतिम लक्ष्य है :- भाई राजीव दीक्षित जी*
*मैं भारत को भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उस काम मे लगा हुआ हूँ*
*आपका अनुज गोविन्द शरण प्रसाद 9958148111 वन्देमातरम जय हिंद*
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: *सेंधा नमक के ये गुण शर्तिया आपको नहीं पता होंगे, जरूर पढ़ें*
1 सेंधा नमक में लगभग 65 प्रकार के खनिज लवण पाए जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं। वहीं इसका एक बढ़िया फायदा यह है कि यह पाचन के लिए फायदेमंद है। चूंकि यह पाचक रसों का निर्माण करता है, इसलिए कब्ज भी दूर करने में सहायक है।
2 यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है, जिससे दिल के दौरे की संभावना को भी कम करता है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में भी सेंधा नमक फायदेमंद होता है।
3 तनाव अधिक होने पर सेंधा नमक का सेवन करना लाभकारी होगा, यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का स्तर शरीर में बनाए रखता है, जो तनाव से लड़ने में आपकी मदद करते हैं।
4 मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन हो, या फिर हड्डियों से जुड़ी कोई समस्या, सेंधा नमक का सेवन करने से आपकी यह समस्या धीरे-धीरे पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी।
5 पथरी यानि स्टोन हो जाने पर, सेंधा नमक और नींबू को पानी में मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों में पथरी गलने लगती है। वहीं साइनस के दर्द को कम करने में ही सेंधा नमक फायदेमंद है।
6 डाइबिटीज और अस्थमा व आर्थराइटिस के मरीजों के लिए सेंधा नमक का सेवन काफी लाभदायक होता है। यह शरीर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में भी फायदेमंद है।
7 अनिद्रा होने पर सेंधा नमक असरकारी है, वहीं त्वचा रोगों एवं दंत रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मोटापा कम करने के लिए भी सेंधा नमक का प्रयोग करना बेहतर तरीका है।
[🍃 *Arogya*🍃
*भयंकर माइग्रेन*
*----------------*
*इसके इलाज के लिए प्राकृतिक घरेलू नुस्खे*
वैसे तो सिरदर्द एक सामान्य बीमारी है जो जल्द ही ठीक हो जाता है लेकिन माइग्रेन से होने वाला सिर दर्द असहनीय होता है।
मस्तिष्क संबंधी विकार माइग्रेन सिर दर्द के मुख्य कारणों में एक हैं।
ध्वनि, प्रकाश, उल्टियाँ और सिर के केंद्र में होने वाला दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं।
*माइग्रेन से होने वाले दर्द की रोक-थाम के लिए कुछ घरेलू नुस्खे>>*
*1. पुदीने का तेल-*
इस तेल में एंटी इंफ्लैमटरी गुण होते हैं जो सिर दर्द में आपको राहत दे सकते हैं। इसकी कुछ बूंदे जीभ पर रखने और कुछ अपने सिर पर लगा कर मालिश करने से माइग्रेन से आराम मिलता है।
*2. आराम करें-*
ध्यान सिर दर्द को दूर करने में काफी कारगर होता है। माइग्रेन के इलाज के लिए ध्यान करना सबसे अच्छा तरीका होगा।
*3. बर्फ का पैक-*
बर्फ के टुकड़े एक पैक में लेकर सिर दर्द की जगह पर रखें। बर्फ में एंटी इंफ्लैमटरी गुण होते है जिससे सिर का दर्द ठीक हो सकता है। आप चाहें तो किसी और ठंडी चीज़ का पैक भी बना सकते है।
*4. विटामिन-बी का सेवन-*
मस्तिष्क विकार जो माइग्रेन का मुख्य कारण होता है, अकसर विटामिन बी की कमी से पैदा होते हैं। विटामिन बी युक्त पदार्थों का सेवन करने से सिर दर्द से राहत मिल सकती है। माइग्रेन से बचने के लिए अपने भोजन में विटामिन बी युक्त पदार्थ शामिल करें।
*5. जड़ी बूटियों का उपयोग-*
कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय या कॉफ़ी पीने से भी माइग्रेन में राहत मिलती है। सिर दर्द में बाम को प्रयोग में लाएं। सिर पर बाम की हलकी मसाज देने पर रक्त संचार सामान्य हो जाता है तथा माइग्रेन से आराम मिलता है।
*6. कमरे में अंधेरा करना-*
अक्सर तेज़ रोशनी से सिर का दर्द बढ़ जाता है। इस कारण अँधेरे और शांत कमरे में बैठने से भी माइग्रेन ठीक होता है।
*Vaid Deepak Kumar**
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: *एसिडिटी के कारण क्या हैं*
1. मसालेदार चटपटा खाना खाना
2. स्मोकिंग, शराब और दूसरे नशे करना
3. लम्बे समय तक ख़ाली पेट रखना
4. रात का भोजन सही समय पर नही करना
5. ख़ाली पेट चाय का सेवन करना
6. शरीर में गर्मी बढ़ जाना
*🔹एसिडिटी के लक्षण 🔹*
1. पेट में जलन महसूस होना
2. कड़वी और खट्टी डकारें आना
3. पेट में गैस बनना
4. खाने के बाद पेट में दर्द
5. कब्ज़ की शिक़ायत होना
6. उल्टी आना या फिर
बार-बार उबाक आना
*🔹एसिडिटी दूर करने का घरेलू इलाज*🔹
1. एसिडिटी दूर करने के लिए सुबह शाम एक गिलास पानी के साथ *आँवले* का चूर्ण खायें। इसके बाद आधे घंटे तक कुछ और नहीं खाना है। अगर चूर्ण नहीं है तो इसकी जगह आप आँवले का जूस भी पी सकते हैं।
2. *अदरक* को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को छानकर गुनगुना पियें। अदरक की चाय भी एसिडिटी से छुटकारा देती है।
3. हर दिन एलोवेरा जूस पीने वाले लोगों को पेट में एसिडिटी की समस्या नहीं होती है।
4. 1-1 चम्मच जीरा, सौंफ, अजवाइन और सावा के बीज पानी में उबालें। इसे छानकर पानी को दिन में 2-3 बार पिएं। इस प्रयोग से पेट की समस्याओं से छुटकारा
5. यष्टि मधु और दालचीनी चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर गोलियाँ बनायें। फिर इन्हें आवश्यकतानुसार चूसें।
6. एक गिलास दूध लीजिये और उसमे चुटकी भर अश्वगंधा मिलाकर पीने से एसिडिटी समाप्त होती है।
*
[1/3, 8:07 PM] +91 94641 94339: पालक खाने से सिर्फ आंखों की परेशानी ही दूर नहीं होती, बल्कि होते हैं ये भी बड़े फायदे
सर्दियों में हरि सब्जियों की भरमार होती है. जिनका सेवन कर हम सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बच सकते हैं. पालक भी उसमें से एक है. दरअसल पालक को सुपरफूड भी कहा जाता है. क्योंकि पालक में कैलोरी कम और पोषक तत्व अधिक होता है. पालक में कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन पाया जाता है, इसलिए इसे स्किन, बालों और हड्डियों के लिए बहुत काम का माना जाता है. साथ ही आंखो की रोशनी बढ़ाने के लिए, ऑक्सिडेटिव तनाव को कम करने और ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखने के ले भी पालक खाना फायदेमंद होता है. आइए जानते हैं पालक खाने के फायदे-
- पालक में पाया जाने वाला विटामिन A सांस संबधी बीमारियों को दूर करता है और शरीर में बलगम नहीं बनने देता है. रोज एक कप पालक खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और शरीर पूरे समय एक्टिव रहता है.
- पालक में उच्च मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है, जो हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों के लिए जरूरी होता है. पोटेशियम शरीर से सोडियम की मात्रा कम करता है, इसलिए इसे हाई ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद माना जाता है.
- पालक में उच्च मात्रा में जेक्सैंथिन और कैरोटीनॉयड पाया जाता है जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को बाहर निकालने का काम करते हैं. ये फ्री रेडिकल्स शरीर में कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं. इसलिए पालक खाने से शरीर इन बीमारियों से काफ़ी हद तक बचा रहता है.
- पालक में विटामिन K होता है जो हड्डियों के लिए अच्छा माना जाता है. एक कप पालक में 250 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है जो दांतों और हड्डियों के लिए जरूरी होता है. पालक खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और फ्रैक्चर का खतरा कम होता है.
- पालक में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट आंखों के लिए बहुत अच्छा होता है. ये मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याओं से बचाता है. पालक में पाया जाने वाला विटामिन A आंखों की झिल्ली को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे आंखों की रोशनी बनी रहती है.
- अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो अपने वेट लॉस डाइट में पालक जरूर शामिल करें. पालक में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है और ये फाइबर से भरपूर होता है. रोज पालक खाने से पेट भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती है. इसलिए ये वजन को कंट्रोल रखता है.
- पालक दिमाग को शांत रखता है और तनावमुक्त रहने में मदद करता है. इसमें जिंक और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो कई तरह की मानसिक बीमारियों को ठीक करते हैं. रोज पालक खाने से बॉडी रिलैक्स रहती है और नींद अच्छी आती है.
- पालक खाने से दिमाग तेज रहता है, खासतौर से बुढ़ापे में कमजोर यादाश्त की समस्या नहीं रहती है. इसमें विटामिन K पाया जाता है जो नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है और दिमाग को एक्टिव रखता है.
- धमनियों में वसा जमने की वजह से स्ट्रोक और एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. पालक में पाया जाने वाला ल्यूटिन धमनियों को मोटा होने से बचाता है जिससे दिल संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं.
- पालक स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. ये शरीर से सूजन को कम करता है जिससे मुंहासों की समस्या नहीं होती है और स्किन चमकदार बनती है. पालक खाने में ही नहीं बल्कि फेसपैक के रूप में भी काम आता है. पालक का पेस्ट बनाकर इसे फेस मास्क की तरह लगाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें. इससे स्किन के सारे धाग-दब्बे दूर हो जाते हैं.
[1/4, 12:30 PM] +91 94641 94339: 🌷 *सर्दियों में उठायें मेथीदानों से भरपूर लाभ*
➡ *मेथीदाना उष्ण, वात व कफनाशक, पित्तवर्धक, पाचनशक्ति व बल वर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है। यह पुष्टिकारक, शक्ति - स्फूर्तिदायक टॉनिक की तरह कार्य करता है। सुबह – शाम इसे पानी के साथ निगलने से पेट को निरोग बनाता है, कब्ज व गैस को दूर करता है। इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं। यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी हैं।*
➡ *अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे – धीरे चबाना या चूसने से वृद्धावस्था में पैदा होने वाली व्याधियों, जैसे – घुटनों व जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, हाथों का सुन्न पड़ जाना, सायटिका, मांसपेशियों का खिंचाव, बार – बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि में लाभ होता है। गर्भवती व स्तनपान करानेवाली महिलाओं को भुने मेथीदानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है।*
💪🏻 *शक्तिवर्धक पेय* 💪🏻
*दो चम्मच मेथीदाने एक गिलास पानी में 4 – 5 घंटे भिगोकर रखें फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई हिस्सा रह जाए। इसे छानकर 2 चम्मच शहद मिला के पियें।*
💊 *औषधीय प्रयोग* 💊
👉🏻 *कब्ज : 20 ग्राम मेथीदाने को 200 ग्राम ताजे पानी में भिगो दें। 5 – 6 घंटे बाद मसल के पीने से मल साफ़ आने लगता है। {भूख अच्छी लगने लगती है और पाचन भी ठीक होने लगता है।*
🚶🏻♀ *जोड़ों का दर्द : 100 ग्राम मेथीदाने अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें। इसमें 25 ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें। 2 चम्मच यह मिश्रण सुबह – शाम गुनगुने पानी से फाँकने से जोड़ों, कमर व घुटनों का दर्द, आमवात ( गठिया ) का दर्द आदि में लाभ होता है। इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी।*
🙇🏻 *पेट के रोगों में : 1 से 3 ग्राम मेथीदानों का चूर्ण सुबह, दोपहर व शाम को पानी के साथ लेने से अपच, दस्त, भूख न लगना, अफरा, दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है।*
💪🏻 *दुर्बलता : 1 चम्मच मेथीदानों को घी में भूनके सुबह – शाम लेने से रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है।*
👩🏻 *मासिक धर्म में रुकावट : 4 चम्मच मेथीदाने 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रह जाने पर छानकर गर्म – गर्म ही लेने से मासिक धर्म खुल के होने लगता है।*
🚶🏻 *अंगों की जकड़न : भुनी मेथी आटे में गुड़ की चाशनी मिला के लड्डू बना लें। एक – एक लड्डू रोज सुबह खाने से वायु के कारण जकड़े हुए अंग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा हाथ – पैरों में होनेवाला दर्द भी दूर होता है।*
💥 *विशेष : सर्दियों में मेथीपाक, मेथी के लड्डू, मेथीदानों व मूँग – दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी है।*
🔥 *सावधानी : मेथीदाने का सेवन शरद व ग्रीष्म ऋतुओं में, पित्तजन्य रोगों में तथा उष्ण प्रकृति वालों को नही करना चाहिए।*
[1/4, 12:46 PM] +91 94641 94339: 🍃 *आरोग्यं :-*
*दांतों में सड़न को दूर करने के घरेलू उपाय -*
*लौंग का तेल -*
एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण लौंग एक बेहतरीन औषधि है तथा भारत के व्यंजनों में लौंग का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है। इससे बना तेल दांतों में सड़न को दूर करने का बहुत ही अच्छा रामबाण उपाय है। लौंग का तेल कैविटी और दांत के सड़न के कारण होने वाले दर्द से आपको बहुत ही आराम देता है। लौंग में यूजीनॉल होता है, जो नैचुरल एंटीसेप्टिक हैं। इसके एंटीमाइक्रोबायल घटक विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, कवक, और वायरस के विकास को रोकते हैं। आप लौंग के तेल को कॉटन में डिप करके दांत के प्रभावित क्षेत्र में रख सकते हैं।
[1/4, 12:46 PM] +91 94641 94339: *थायराइड पर कैसे कंट्रोल रख सकती हैं महिलाएं?*
दिनों-दिन थायराइड मरीजों की गिनती तेजी से बढ़ती जा रही है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं को थायरायड होने की आंशंका 9 गुना अधिक होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण बिगड़ा लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतें ही है।
*चलिए आपको बताते हैं थायराइड होता क्या है?*
यह रोग हार्मोनल प्रॉब्लम से जुड़ा है। गले में वोकल कोर्ड के दोनों ओर थायराइड ग्रंथि होती है, जिसका आकार तितली जैसा होता है। इन्हीं में से T3, T4 हार्मोन निकलते हैं, जो शरीर के कई क्रियाओं में मदद करते हैं लेकिन जब यह हार्मोन गड़बड़ाने लगते हैं तो थायराइड की समस्या शुरू हो जाती है।
कुछ लोगों को लगता है कि मोटापे के कारण थायराइड की समस्या होती है जबकि ऐसा नहीं है। पतले लोग भी थायराइड के शिकार होते हैं। थायरायड ग्रंथि में इन हार्मोन्स के कम या अधिक बनने पर दिक्कतें शुरू होती हैं। इनके कम बनने से शरीर में शिथिलता आ जाती है।
बता दें कि हार्मोन असंतुलित में दो तरह का थायराइड होता है हाइपो थायराइड और हाइपर थायराइड। अगर आप हाइपो थायराइड हो तो शरीर मोटापे का शिकार होने लगता है और नींद ज्यादा आती है। जबकि हाइपर में शरीर सूख जाता है। साथ ही धड़कन बढ़ना, जोड़ों में दर्द और नींद कम ना आने जैसे लश्रण दिखते हैं।
वहीं महिलाओं में दोनों ही स्थिति में पीरियड्स गड़बड़ा जाते हैं, जो बांझपन का कारण भी बनते हैं।
. वजन बढ़ना या कम होना
. सुस्ती, तनाव व डिप्रेशन
. चिड़चिड़ापन
. बार-बार पेट की गड़बड़ी
. कमजोर इम्यून सिस्टम
. कब्ज की शिकायत रहती है
. चेहरे और आंखों में सूजन
. ठुड्डी, पेट पर अनचाहे बाल
. ज्यादा गर्मी लगाना
*महिलाएं क्यों हो रही है अधिक शिकार*
. महिलाएं ऑफिस व घर की जिम्मेदारियों के चलते तनाव ले लेती हैं, जिससे थारयराइड ग्रंथि पर असर पड़ता है और यही आगे चलते थायराइड का कारण बनता है।
. मेनोपॉज और प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को थायराइड होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं।
. डाइट में ध्यान ना देने के कारण उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो इस बीमारी का कारण बनती है।
. अगर आप फिजिकल एक्टिविटी नहीं करती और हैल्दी डाइट नहीं खा रही तो आप इस बीमारी की चपेट में आ सकती है।
. ज्यादा तनाव व टेंशन लेना भी थायराइड का कारण बनता है।
. दवाइयों के साइड-इफैक्ट से भी महिलाओं को यह समस्या हो सकती है।
. यह समस्या आनुवांशिक भी है। इसके अलावा अगर परिवार के किसी सदस्य को थायराइड है तो आप भी इसकी शिकार हो सकती है।
अब आपको कुछ टिप्स देते हैं, जिससे आप थायराइड की समस्या को कंट्रोल व इससे बचे सकती हैं।
*इन चीजों से रखें परहेज*
तला हुआ भोजन, अधिक मीठा, पैकेज्ड फूड, कॉफी का कम से कम सेवन करें। इसके अलावा हर प्रकार की गोभी, सोया प्रॉडक्ट्स खाने से बचे। अगर आपकी दवा चल रही है तो आप इन चीजों का सेवन थोड़ी मात्रा में कर सकते हैं।
*क्या खाएं?*
थायराइड पेशेंट डाइट में नट्स, सेब, सिट्स फ्रूटस, दाल, कद्दू के बीज, दही, संतरे का रस, आयोडीन युक्त चीजें, नारियल तेल, अदरक, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ब्राउन ब्रैड, ऑलिव ऑयल, लेमन, हर्बल और ग्रीन टी, अखरोट, जामुन, स्ट्रॉबेरी, गाजर, हरी मिर्च, बादाम, अलसी के बीज, शहद आदि लें।
*थायराइड के लिए योग*
इसके अलावा थायराइड से छुटकारा पाने के लिए आप योग का सहारा भी ले सकती हैं। थायराइड के लिए आप अपनी रूटीन में कपालभाति, उज्जायी प्राणायाम, ग्रीवासन (Grivasana), सिम्हासन (Simhasana) और हलासन कर सकते हैं।
*हल्दी वाला दूध*
रोजाना हल्दी वाला दूध पीने से भी थायराइड कंट्रोल में रहता है। अगर आप हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहती तो आप हल्की को भून कर भी खा सकती हैं। इससे भी थायराइड को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
*मुलेठी का सेवन*
थायराइड के मरीज जल्दी थक जाते हैं। एेसे में मुलेठी का सेवन आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। इसमें मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित करके थकान को उर्जा में बदल देते हैं।
*प्याज से मसाज*
थायराइड को कंट्रोल करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है प्याज। इसके लिए प्याज को दो हिस्सों में काटकर सोने से पहले थायराइड ग्लैंड के आस-पास क्लॉक वाइज मसाज करें। मसाज के बाद गर्दन को धोने की बजाए रातभर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। कुछ दिन लगातार ऐसे करने से आपको इसके नतीजे दिखने शुरू हो जाएंगें।
[1/4, 12:46 PM] +91 94641 94339: *अगर दिखे यह एक आसान सा लक्षण, तो समझ लेना खराब होने वाला हैं आपका लिवर*
++++++++++++
इंसान के शरीर में लिवर काफी महत्वपूर्ण अंग होता है। जो शरीर में सिर्फ खून को ही फिल्टर नहीं करता यह हार्मोन को प्रोड्यूस करने के साथ ही एनर्जी को स्टोर करने, फूड को डाइजेस्ट करने का भी काम करता है। लिवर के हेल्थ पर ही पूरी बॉडी की हेल्थ डिपेंड करती है। अगर लिवर हेल्दी नहीं है तो आप हेल्दी नहीं रह सकते। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ ऐसे कॉमन सिम्टम बता रहे हैं जो लिवर के खतरे में होने का संकेत होते हैं। अगर आपको ये संकेत बॉडी में दिखाई दे रहे हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
*तो आइये जाने इसके बारे में।*
*ब्लड क्लॉटिंग –*
अगर आपका लिवर ब्लड को प्रॉपर्ली क्लीन नहीं कर रहा है तो स्किन पर ब्लड क्लॉटिंग के मार्क दिखाई देंगे। इस बात कापर तुरंत ध्यान दे और तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करे।
*जॉइंट पेन –*
शरीर के किसी भी हिस्से में जॉइन पेन, सर्दी- खांसी, वॉमिटिंग और भूख की कमी ये लिवर के खतरे में होने के संकेत हैं।
*आंखों और स्किन का पीला होना –*
जब बॉडी में ब्लड सेल टूटती हैं तो एक बायप्रोडक्ट क्रिएट होता है उसे बिलिरूबिन कहते हैं। हेल्दी लिवर इस बिलिरूबिन को आसानी से डिस्पोज कर लेता है लेकिन बीमार लिवर नहीं कर पाता जिससे स्किन और आंखें पीली होने लगती है। यही बाद में पीलिया में बदल जाता है।
*एबडोमिनल पेन –*
अगर आपको एबडोमिनल में सूजन, दर्द जैसा फील हो रहा है तो इस बात का संकेत है कि आपका लिवर खतरे में है। अगर आपको लगातार ऐसा पेन हो रहा है तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
*डिप्रेशन में रहना –*
एक बीमार लिवर आपके दिमाग और ब्लड में बहुत सारा कॉपर बनने देता है। इससे अल्जमाइजर की तरह कंफ्यूजन रहता है। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपको डिसीजन लेने में कंफ्यूजन हो रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से जरूर मिलें।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें